Mumbai Strike: राज्य में सरकारी बिजली कंपनियों में कार्यरत इंजीनियरों, तकनीशियनों, कर्मचारियों और ठेका कर्मियों ने रविवार को दोपहर 12 बजे से दो दिवसीय हड़ताल की चेतावनी देने के बाद सभी के लिए प्रोटेक्शन (मेस्मा) एक्ट लागू कर दिया गया है। इससे प्रस्तावित हड़ताल पर रोक लगा दी गई है। महानिरमिथि, महावितरण और महापरेशन जैसी सरकारी बिजली कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं आवश्यक सेवाएं हैं। राज्य सरकार ने एक गजट में कहा कि महाराष्ट्र आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (मेस्मा) को लागू कर अधिकारियों और कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोका जा रहा है।
राज्य के ऊर्जा मंत्री डॉ. नितिन राउत पहले ही कड़ा रुख अख्तियार कर चुके हैं कि राज्य में बिजली कंपनियों का किसी भी हाल में निजीकरण नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग ने बिजली क्षेत्र के निजीकरण के केंद्र सरकार के प्रयासों का कड़ा विरोध किया है। राज्य सरकार ने गर्मी के बढ़ते तापमान, 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं और विभिन्न फसलों के लिए पानी की आवश्यकता के मद्देनजर राज्य के लोगों को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बिजली कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों से हड़ताल पर नहीं जाने की भी अपील की है।
इस वजह से नहीं कर सकते हड़ताल
उर्जा मंत्री डॉ. नितिन राउत ने इससे पहले राज्य की बिजली कंपनियों का किसी भी हालत में निजीकरण नहीं किया जाएगा, ऐसा आश्वासन अलग-अलग वक्त में दिया है। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा बिजली कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन की कोशिशों का भी राज्य सरकार के उर्जा विभाग द्वारा विरोध किया जाता रहा है। बढ़ते हुए तापमान, 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा, अलग-अलग फसलों के लिए सिंचाई की जरूरतों का ध्यान रखते हुए राज्य की जनता को निरंतर पावर सप्लाई होती रहे, इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकारी बिजली कंपनी के अधिकारियों, कर्मचारियों और मजदूरों के प्रस्तावित हड़ताल पर रोक लगाने का फैसला किया गया है।
बता दें कि राज्य की अलग-अलग सरकारी बिजली कंपनियों के अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर आज रात 12 बजे (28 मार्च) और कल (29 मार्च) अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने वाले थे। लेकिन अचानक राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर यह आदेश दे दिया गया है कि मेस्मा के तहत हड़ताल पर जाने पर पाबंदी है। अब अगर अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर हड़ताल पर चले जाते हैं तो वे मेस्मा कानून का उल्लंघन करते हैं, इससे सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
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