Mumbai Traffic News: मुंबई पुलिस प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण पर उच्च न्यायालय निर्देशों के अनुसार, गाड़ी बनाने वाली कंपनियों से गाड़ियों के हॉर्न की ध्वनि सीमा कम करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में वाहनों के हॉर्न की आवाज 92 से 112 डेसिबल के बीच है, जो कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। बिना कारण हॉर्न बजाने से 80 प्रतिशत ध्वनि प्रदूषण वातावरण में फैलता है। इससे आर्थिक राजधानी मुंबई में रहना मुश्किल हो गया है। इसकी वजह से लोगों में चिड़चिड़ापन, कम सुनाई देने की बीमारी, रक्तचाप बढ़ना, नींद नहीं आना और काम में मन नहीं लगना जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। इन्हीं वजहों को लेकर मुंबई पुलिस प्रशासन ने ऑटोमोबाइल बनाने वाली कंपनियों से बातचीत करने का मसौदा तैयार किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि हमने हाल ही में अलग-अलग ऑटोमोबाइल निर्माताओं के साथ एक बैठक की और ध्वनि प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए उन्हें वाहनों के हॉर्न की आवाज कम करने को कहा है। एक तरफ लाउडस्पीकर से फैलने वाले प्रदूषण को लेकर जहां मुंबई में विवाद चल रहा है तो वहीं, मुंबई पुलिस ने ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट निर्देशों के अनुसार वाहन निर्माताओं से वाहनों के हॉर्न की ध्वनि सीमा कम करने की अपील की है।
मुंबई पुलिस प्रशासन के अधिकारी ने कहा कि, शहर की पुलिस वाहन चालकों द्वारा जोर से हॉर्न बजाने के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है। विशेषकर रात में हॉर्न बजाने की भी जांच की जाएगी। पुलिस प्रशासन ने बताया कि मुंबई को ध्वनि प्रदूषण से मुक्त बनाने के उद्देश्य से पुलिस वाहन डीलरों के साथ भी बैठक करेगी। मुंबई पुलिस ने हाल ही में विभिन्न बिल्डरों और डेवलपर्स से भी मुलाकात की थी और उनसे निर्माण कार्य से उत्पन्न होने वाले ध्वनि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए कहा था, ताकि लोगों को छुट्टी शांति से बिताने का मौका मिल सके।
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