Mumbai News: मानसून के दौरान भारी बारिश से मुंबई में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। जिसका मुख्य कारण मीठी नदी को माना जाता है। इसलिए भारी बारिश की चेतावनी पर मीठी नदी के किनारे रहने वाले लोगों को हटाने तक कि नौबत आ जाती है। मनपा के अतिरिक्त आयुक्त पी वेलारासू ने बताया कि, मीठी नदी के पानी को शहर में आने से रोकने के लिए 28 जगहों पर मजबूत दीवार के साथ फ्लड गेट बनाए जाएंगे। देश का यह पहला प्रोजेक्ट है, जिस पर 1700 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
2005 की बाढ़ के लिए मीठी नदी थी जिम्मेदार!
बता दें कि, 26 जुलाई 2005 को मुंबई में आई प्रलयकारी बाढ़ में सबसे अधिक नुकसान मीठी नदी से हुआ था। बड़ी संख्या में इसके किनारे रहने वाले लोगों के जानमाल का नुकसान हुआ था। उसी समय से मीठी नदी के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गई। लेकिन हजारों करोड़ खर्च होने के बाद भी कुछ खास सफलता नहीं मिली है। बाढ़ की स्थिति को दूर करने के लिए मीठी नदी का कचरा निकालने के लिए विदेशी मशीन का उपयोग किया जा रहा है। जिसमें नीदरलैंड की टकशर एपिमिबियास मशीन से नीचे का कचरा हटाने और स्वीडन की पुशर मशीन से तैरता हुआ कचरा निकाला जाएगा।
28 स्थानों पर पंपिंग की व्यवस्था
भांडुप, फिल्टर पाड़ा विहार तालाब से मीठी नदी की शुरुआत होती है। पूर्वी उपनगर में 17.80 किमी बहने वाली मीठी नदी आरे कॉलोनी, कुर्ला-बांद्रा से होकर माहिम की खाड़ी में जाती है। ऐसे 28 स्थान खोजे गए हैं, जहां मीठी नदी के कारण जलजमाव होता है। इस 7 से 8 किमी की दूरी में 28 पंपिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इन स्थानों पर फ्लड गेट लगाया जाएगा, ताकि समुद्र में ज्वार-भाटा की स्थिति में इन स्थानों पर पंप से पानी को मीठी नदी के सहारे छोड़ा जा सके।
मिलन सब-वे भी होगा बाढ़ मुक्त
इस योजना के तहत सांताक्रूज मिलन सब-वे के पास भूमिगत टंकी बनाई जाएगी, जिस तरह हिंदमाता के पास बनाई गई है। टंकी में पानी जमा कर उसे पंप से फेका जाएगा। इसके लिए मनपा 31 करोड 93 लाख रुपया खर्च कर रही है। इस टंकी में 2 करोड़ लीटर पानी जमा हो सकेगा। ठेकेदार को यह काम 21 मार्च से शुरू कर 12 महीने में पूरा करना होगा।
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