टी सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार हत्याकांड में बांबे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। इस फैसले में दाऊद इब्राहिम के सहयोगी रहे अब्दुल रऊफ की सजा बरकरार रखी है। बता दें कि सेशन कोर्ट ने भी उसके खिलाफ सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं कि उसके साथ किसी तरह की रियायत की जाए। अदालत ने उस प्रकरण को भी सामने रखा जिसमें परोल मिलने के बाद वो बांग्लादेश भाग गया था।
अब्दुल रऊफ की सजा बरकरार
गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त 1997 को जुहू इलाके में हुई। उन्हें कुल 16 गोली मारी गई थी। उस केस में अभी भी कुछ के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं। अब्दुल रऊफ को सेशन कोर्ट ने 2002 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, हालांकि 2009 में लो परोल पर जेल से बाहर आया और बांग्लादेश भाग गया था।
अब्दुल राशिद के खिलाफ फैसले को अदालत ने पलटा
एक अन्य आरोपी अब्दुल राशिद, जिसे पहले सत्र अदालत ने बरी कर दिया था, को अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोषी ठहराया है, जो महाराष्ट्र सरकार की अपील के बाद उसे बरी करने के खिलाफ है। अब्दुल रशीद दाऊद मर्चेंट को एचसी द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
रमेश तौरानी को बरी रखने का फैसला भी कायम
रमेश तौरानी की बरी किए जाने के फैसले को बरकरारा रखा गया है। उनके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने अपील की थी। रमेश तौरानी पर आरोप था कि वो आरोपियों को इस बात के लिए उकसाते थे कि वो गुलशन कुमार की जान ले लें। हालांकि इस तरह के आरोप सेशन कोर्ट में साबित नहीं हो सके लिहाजा रमेश तौरानी का बरी कर दिया गया। लेकिन महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की गई थी।
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