पटना : बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के निशाने पर हैं। राज्य में शराबबंदी के बावजूद अलग-अलग जगहों पर कानून-व्यवस्था को धत्ता बताते हुए शराब की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। टाइम्स नाउ नवभारत ने इस बारे में मंगलवार को अपनी इंवेस्टिंग रिपोर्ट दिखाई। रिपोर्ट में स्वास्थ्य मंत्री के घर के पास शराब की बिक्री होती दिखी। सवाल तब और गंभीर हो जाता है जब कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी जिस महकमे पर हो, वह अपने हाथ खड़े कर दे।
जी, बात हो रही है बिहार के डीजीपी की। बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने साफ तौर पर माना है कि शराब की बिक्री पर एक बार में रोक नहीं लगाई जा सकती। आरोपी जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद दोबारा शराब के धंधे में उतर जाते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए लगातार कार्रवाई करने की जरूरत है। डीजीपी ने कहा, 'हमने आरोपी को गिरफ्तार करके एक बार जेल भेज दिया। जमानत पर जेल से निकलने के बाद वह दोबारा शराब की बिक्री में शामिल नहीं होगा, ये पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। शराब की बिक्री के खिलाफ लगातार कार्रवाई होनी चाहिए। यह एक समय पर कभी रुकेगा नहीं।
बिहार में बीते कुछ दिनों में जहरीली शराब पीने से कथित रूप से 40 से ज्यादा लोगों की जान गई है। इन मौतों पर शराबबंदी कानून को लेकर नीतीश कुमार की सरकार कठघरे में है। राजद सहित विपक्ष उन पर हमलावर है। जहरीली शराब के मुद्दे पर घिरने के बाद सीएम नीतीश ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय मैराथन बैठक की। सीएम ने शराबबंदी को सख्ती को लागू कराने और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। उनका कहना है कि शराबबंदी लागू होने के बाद से राज्य में आपराधिक मामलों में कमी आई है।
नीतीश ने कहा, 'मैंने शराब पर रोक लगाई और इसे लेकर मैं गंभीर हूं, इसलिए कुछ लोग मेरे खिलाफ हो गए हैं। उनकी अपनी राय हो सकती है लेकिन हमने महिलाओं एवं पुरुषों दोनों की बात सुनी है।' बिहार सरकार ने 5 अप्रैल 2016 को राज्य में शराब के उत्पादन, कारोबार, संग्रह, बिक्री एवं उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। शराब पर प्रतिबंध लग जाने के बाद राज्य में अवैध रूप से शराब की बिक्री के मामले सामने आते रहे हैं। बताया जाता है कि यूपी बॉर्डर से शराब की तस्करी राज्य में होती है। नीतीश सरकार में शामिल भाजपा के कई नेता शराबबंदी पर सवाल उठा चुके हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि इससे राजस्व को नुकसान हो रहा है। इसलिए इस प्रतिबंध की समीक्षा होनी चाहिए।
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