नई दिल्ली। रविवार को लोक जनशक्ति पार्टी यानी एलजेपी मे जेडीयू से अलग होने का ऐलान किया और बताया कि अलग होने के पीछे मात्र एक वजह वैचारिक मतभेद है। एलजेपी के इस तर्क पर जेडीयू ने तंज कसते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वो वैचारिक मतभेद कहां थे। लेकिन इस तरह के आरोपों से बेपरवाह चिराग पासवान ने कहा कि मुझे इस पल का आनंद लेने दें।
चिराग पासवान बोले- फिलहाल आनंद लेने दें
एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से जब पूछा गया कि जेडीयू से नाता तोड़ने को बीजेपी के संदर्भ में किस तरह देखना चाहिए तो उस सवाल के जवाब में चिराग ने कहा कि वो अब ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। लेकिन एक बात तो तय है कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव को जीतेगी। हालांकि उन्होंने साफ किया कि मतभेद सिर्फ जेडीयू से है, बीजेपी से किसी तरह का दुराव नहीं है।
बीजेपी के साथ किसी तरह का मतभेद नहीं
चिराग पासवान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बिहार फर्स्टस बिहारी फर्स्ट के जरिए विजय डाक्यूमेंट के बारे में जानकारी साझा करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के विकास के रास्ते पर चलने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पीएम मोदी देश को विकास के रास्ते पर ले जा रहे हैं ठीक वैसे ही उनके लिए बिहार का विकास ही मकसद है और उसके लिए वो हरसंभव कोशिश करते रहेंगे।
जेडीयू से नाता तोड़ने का क्या है अर्थ
सवाल यह है कि जेडीयू से नाता तोड़ने का अर्थ यह है एक तरह से राज्य स्तर पर एनडीए से नाता तोड़ना। दरअसल जब सीटों के बंटवारे की बात चल रही थी तो एक बात साफ थी कि बीजेपी अपने ही कोटे से चिराग पासवान की पार्टी को सीट देगी। बताया जा रहा है कि एलजेपी को बीजेपी 15 सीट के करीब देने के लिए तैयार थी। लेकिन सात सांसदों का हवाला देकर एलजेपी ने 42 सीटों की डिमांड कर दी। अब सवाल यह भी है कि जब जेडीयू को अपने कोटे से सीट नहीं देनी थी तो चिराग ने नीतीश कुमार से नाता क्यों तोड़ लिया। इसके बारे में जानकार कहते हैं कि दरअसल चिराग पासवान को जीतन राम मांझी से जेडीयू की नजदीकी नहीं पसंद आ रही थी।
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