बिहार में एनडीए की सरकार नीतीश कुमार की अगुवाई में चल रही है। अगर संख्या बल की बात करें तो उनकी पार्टी यानी जेडीयू तीसरे नंबर पर है। इस आंकड़े के बीच कभी बीजेपी तो कभी जेडीयू की तरफ से बयान आते हैं तो कयासों का दौर शुरू हो जाता है कि बीजेपी और जेडीयू में सबकुछ सही नहीं है। इन सबके बीच जेडीयू के दो कद्दावर नेताओं उपेंद्र कुशवाहा औक के सी त्यागी ने नीतीश कुमार को पीएम मैटिरियल बताया तो चर्चा फिर खास हो गई। इस विषय पर बिहार के डिप्टी सीएम रहे सुशील कुमार मोदी से पत्रकारों ने पूछा कि वो क्या कहेंगे तो जवाब था नो कमेंट।
'नीतीश कुमार, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति पद के लिए ट्राई करें'
अब नीतीश कुमार में जेडीयू नेताओं को पीएम पद की योग्यता नजर आ रही हो आरजेडी को ऐसा नहीं लगता है। आरजेडी प्रवक्ता और एमएलए भाई वीरेंद्र ने तंज कसते हुए कहा कि फिलहाल तो देश में किसी पद की वैकेंसी नहीं है, हाल ही में अफगानिस्तान में राष्ट्रपति पद की जगह खाली हुई है उनको वहां ट्राइ करना चाहिए।
जनता के लिए पार्टियां बदल लेती हैं परिभाषा
लेकिन बात क्या इतनी सीधी है इसके बारे में जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार सियासत के मंझे खिलाड़ी हैं, वो कोई भी बात नापतौल के ही कहते हैं। अगर उनकी पार्टी के दो बड़े कद्दावर नेताओं की तरफ से बयान आया कि उनमें पीएम पद की योग्यता है तो उसके पीछे आसान व्याख्या नहीं हो सकती है। यह तो जगजाहिर है कि जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी है।
अब सवाल यह है कि बीजेपी के दूसरे नेताओं की तरह सुशील कुमार मोदी खुल कर क्यों नहीं बोलते। दरअसल बिहार की राजनीति में इस बात की चर्चा रही है कि वो बीजेपी के अन्य नेताओं की तुलना में नीतीश कुमार के लिए सॉप्ट रहे हैं। यहां तक कि जब नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ जाने का फैसला किया था तो उस वक्त भी सधी टिप्पणी ही किया करते थे और उनका इस तरह का व्यवहार बाकी नेताओं को असहज कर देता था।
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