प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी डेटिंग साइट पर एक्टिव होने भर से किसी के चरित्र का आंकलन नहीं किया जा सकता। रेप के आरोपी ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आरोपी ने दलील दी थी कि डेटिंग साइट के जरिए संपर्क में आने के चौथे दिन ही लड़की उससे मिलने पहुंच गई, ऐसे में उसकी नैतिकता संदेहास्पद है और इसे सहमति का शारीरिक संबंध माना जाना चाहिए।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने आरोपी की इस दलील को खारिज करते हुए उसे अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया। पीड़ित लड़की का आरोप है कि डेटिंग साइट के जरिए संपर्क में आने के बाद आरोपी ने उससे शादी का झूठा वादा किया फिर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।
इस मामले में पीड़ित लड़की और आरोपी की मुलाकात एक डेटिंग साइट पर हुई थी। संपर्क में आने के बाद आरोपी ने कथित रूप से लड़की से शादी से झूठा वादा किया और फिर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। फिर इसके बाद अपने वादे से मुकर गया। शादी न करने पर लड़की ने आरोपी के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया।
आरोपी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आरोपी और लड़की एक डेटिंग साइट पर मिले। अपनी मुलाकात के चार दिनों के भीतर उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए। इससे जाहिर होता है पीड़ित लड़की की सहमति के बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने। आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने 14 सितंबर के पने फैसले में कहा कि डेटिंग साइट पर सक्रियता के आधार पर किसी की नैतिकता का आंकलन नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि आरोपी कोर्ट में समर्पण कर कार्यवाही में सहयोग करने के लिए स्वतंत्र है। वह संबंधित कोर्ट में अपनी जमानत याचिका दाखिल कर सकता है।
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