प्रयागराज। डॉक्टर कफील खान का नाम आते ही बीआरडी मेडिकल कॉलेज की उस घटना की याद आती है जिसकी वजह से वो चर्चा में आए। लेकिन सुर्खियों में बने रहने का सिलसिला जारी रहा। दरअसल कफील खान पर आरोप लगा कि दिसंबर 2019 में सीएए के विरोध में उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तकरीर की जो भड़काने वाली थी। उसके बाद उन्हें मुंबई से इसी साल जनवरी में गिरफ्तार किया गया और एनएसए लगाया गया। लेकिन इस पर जबरदस्त तरह से राजनीति हुई। कफील खान को इलाहाबाद से सशर्त राहत मिली है। अदालत ने उन्हें जमानत देने का फैसला सुनाया है।
सीएए के विरोध में भड़काऊ स्पीच का आरोप
उस केस में अदालत से रिहा होने के बाद वो यूपी सरकार पर संगीन आरोप लगाते रहे। जब 2019 में नागरिकता संशोधन कानून अस्तित्व में आया तो देशभर में उसके खिलाफ आंदोलन और धरना प्रदर्शन शुरू हो गए। कफील पर आरोप लगा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इस कानून के खिलाफ जिस भाषा और शब्दावली का इस्तेमाल किया वो देशद्रोह की कैटिगरी में आता है। इसी आधार पर उनकी गिरफ्तारी मुंबई से की गई हालांकि डॉ कफील कहते रहे कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक रंजिश की वजह से बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
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