प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और सोशल डिस्टेंसिंग के मुद्दे पर प्रशासनिक विफलता पर रोष जाहिर कि.ा है। हाईकोर्ट का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने में प्रशान की तरफ से लापरवाही बरती जा रही है। यदि ऐसा ही आगे जारी रहा तो अदालत को बाध्य होकर कार्रवाई करने के लिए विवशन होना पड़ेगा। अदालत ने साफ किया कि यह तो जिला प्रशासन की सीधे तौर पर जिम्मेदारी है कि वो केंद्र सरकार के मास्क लगाने व शारीरिक रखने के नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए आगे आए।
क्वारंटीन सेंटर की दुर्दशा पर फाइल थी पीआईएल
क्वारंटीन सेंटरों की खराब हालात पर जनहित याचिका दायर की गई थी, उसी क्रम मे न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने सरकारी कार्रवाई पर असंतोष जताया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के जिलाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि दो गज की दूरी व मास्क लगाने के नियम का पालन न करने वाली दुकानें बंद कर उनके मालिकों के खिलाफ बिना हिचक कार्रवाई करें। अगर अस्पताल, नसिंग होम या क्लीनिक की ओपीडी में भी मानक का पालन न हो रहा हो तो उन्हें भी कार्रवाई की जद में लाया जाए।
सोशल डिस्टेंसिंग का लोग निकाल रहे हैं गलत मतलब
अदालत ने बार एसोसिएशन, महानिबंधक व जिला प्रशासन को शारीरिक दूरी के लिए कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। जजों ने कहा कि अनलॉक को लोग गलत तरह से समझ रहे हैं। बिना किसी बंधन के लोग घूम रहे हैं। एक-दूसरे से मिल रहे हैं। लेकिन, पुलिस सामान्य कार्रवाई भी नहीं कर रही है। सरकारी डाटा से हालात नियंत्रण में नजर आ रहा है लेकिन संक्रमण बढ़ रहा है।
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