प्रयागराज: अनामिका शुक्ला की पहचान को अब बताने की जरूरत नहीं है। वो शिक्षक बनने की सभी योग्यताएं पूरी करती थीं। लेकिन किसी वजह से शिक्षक न बन सकीं। ये बात अलग है कि यूपी के कई जिलों में उनके नाम पर फर्जीवाड़े का खेल चलता रहा और शातिर तथाकथित शिक्षकों का बैंक अकाउंट भरता रहा। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतने बड़े फर्जीवाड़े का भांडाफोड़ कैसे हुआ।
प्रेरणा ऐप ने खोल दी पोल
दरअसल यूपी सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों को हाईटेक करने की दिशा में प्रेरणा ऐप लांच किया। इस ऐप का जबरदस्त विरोध हुआ। लेकिन इस ऐप के जरिए ही इतने बड़े कांड का खुलासा हो गया। प्रेरणा ऐप के जरिए पता चला की एक ही टीचर और एक ही पैन नंबर पर 25 लोग सैलरी ले रहे हैं तो सवाल उठना लाजिमी था कि एक ही शिक्षक कैसे 25 अलग अलग जिलों में पढ़ा सकता है। इस मामले में जांच जब आगे बढ़ी तो पता चला कि जिस शिक्षक के नाम पर इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हो रही थी वो तो बेरोजगार निकली। गोंडा की रहने वाली अनामिका शुक्ला कैमरे के सामने आईं तो कहानी कुछ और निकल कर सामने आई।
प्रयागराज में भी हुआ खेल
अनामिका के नाम से एक कथित शिक्षिका नवंबर 2019 से मार्च 2020 तक केजीबीवी में नौकरी की। वो 16 मार्च तक स्कूल आती रही मगर जब उसके द्वारा फर्जी निवास प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी करने का मामला शासन के संज्ञान में आया तो वो फरार हो गई थी। मूल दस्तावेज के न जमा करने के कारण उसका वेतन रोक दिया गया था।दो जून को विभागीय अधिकारियों ने शिक्षिका के प्रमाण पत्र का ऑनलाइन सत्यापन किया तो उसके निवास प्रमाण पत्र में रीना का नाम दर्ज था।
शासन स्तर पर जांच जारी
इन सबके बीच सरकार के निर्देश पर एडी (बेसिक) रमेश कुमार तिवारी ने पिछले शनिवार को उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने और उसकी सेवा समाप्त करने के निर्देश बीएसए को दिए थे। रविवार को कर्नलगंज थाने में शिक्षिका के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी और सेवा समाप्ति के लिए डीएम एवं सीडीओ को प्रस्ताव भेजा गया था।
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