प्रयागराज : मदरसों सहित धार्मिक संस्थाओं को मिलने वाली सरकारी फंडिंग पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया है। हाई कोर्ट ने पूछा है कि मदरसों और धार्मिक संस्थाओं को आर्थिक सहायता देने की जो नीति है, क्या वह संविधान के धर्मनिरपेक्ष सोच के साथ मेल खाती है? कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि फंडिंग लेने वाले मदरसा क्या अपने यहां लड़कियों का दाखिला लेते हैं या नहीं?
कोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया
जस्टिस अजय भनोट ने मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम एवं एक अन्य की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह फैसल सुनाया। कोर्ट ने इस पर जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब छह अक्टूबर को होगी।
मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती
वहीं, हाई कोर्ट के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलवी सुफियान निजामी ने कहा कि अदालत को यह समझने की जरूरत है कि मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती। इसके अलावा राज्य सरकार दूसरे समुदायों से जुड़ें त्योहारों एवं धार्मिक आयोजनों पर भी पैसे खर्च करती है।
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