Vasant Panchami 2020 Date: वसंत पंचमी के दिन हुआ था मां सरस्वती जन्‍म, जानें कब मनाया जाएगा यह त्‍योहार 

वसंत पंचमी (Vasant Panchami) हिंदू धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। वंसत ऋतु की शुरुआत के साथ ही इस दिन कई शुभ कार्यों कि शिला रखी जाती है।

Vasant Panchami
Vasant Panchami  |  तस्वीर साभार: Instagram

29 जनवरी को वंसत पंचमी मनाया जाएगा। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की जाती है। इस दिन पीले वस्त्रों को पहनना शुभ होता है। मां सरस्वती की पीले फूल और वस्त्र चढ़ाकर पूजा की जाती है। पीला रंग प्रकृति की प्रतिभा और जीवन की जीवंतता को दर्शाता है। इस दिन गुरु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। प्राचीन समय में इसी दिन गुरु के पास बच्चों को गुरुकुल में भेजा जाता था। ये परंपरा आज भी जारी है। इसी दिन बच्चों को मां सरस्वती के समक्ष शीष झुकवा कर उन्हें पेन या पेंसिल चढ़वाई जाती है और इसे पेन से कागज पर ऊं लिखवाकर उनकी शिक्षा प्रारंभ का श्रीगणेश किया जाता है। 

इसलिए मनाया जाती है वसंत पंचमी
ज्ञान, विदया, बुद्धि और संगीत की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। वसंत पंचमी को श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है। ऋग्वेद के दसवें मंडल के 125 भाग में मां सरस्वती देवी के जन्म, उनके प्रभाव और महिमा का वर्णन मिलता है। वसंत पंचमी के दिन किया गया दान अक्षय होता है और यही कारण है कि इस दिन सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। इस दिन नया काम शुरू करना मंगलकारी माना जाता है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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Vasant Panchami 2020 Date: 

  • बसंत पंचमी - 29 जनवरी 2020
  • बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त- 10:45 से 12:35 बजे तक

इस दिन की थी ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना
बसंत पंचमी के दिन ही भगवान विष्णु से आज्ञा ले कर ब्रह्मा जी ने जीवों यानी मनुष्य योनि की रचना की थी। माना जाता है कि इसके बाद भी ब्रह्माजी अपने सृजन से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने विष्णु जी  के कमंडल से जल लेकर धरती पर छिड़काव किया जिससे मां सरस्वती का उद्भव हुआ। मां सरस्वती चतुभुर्जी शक्ति से पूर्ण सामने उपस्थित हुईं। उनके हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा थी। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा जी के देवी से वीणा बजाने के अनुरोध से संसार के समस्त जीवों-जन्तुओं को वाणी की प्राप्ति हुई। 

इन रूपों में पूजी जाती हैं मां सरस्वती
मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी के रूप में पूजा जाता है। 

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