Varanasi Chandraprabha Sanctuary: वाराणसी में चंद्रप्रभा अभ्यारण में जल्द मिलेगी ट्रैकिंग की सुविधा, ये है खासियत

Varanasi Chandraprabha Sanctuary: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में एक और टूरस्टि स्पॉट बनने जा रहा है। यहां पर्यटकों को एडवेंचर और ट्रैकिंग की सुविधा भी मिलेगी। इस सुविधा के साथ पर्यटकों को जंगली जानवरों को जानने का मौका भी मिलेगा।

Chandraprabha Wildlife Sanctuary
चंद्रप्रभा अभ्यारण  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • वाराणसी के चंद्रप्रभा अभ्यारण्य के आएंगे अच्छे दिन
  • अभ्यारण्य में एडवेंचर और ट्रैकिंग की मिलेगी सुविधा
  • पर्यटकों को जंगली जानवरों के बारे में भी मिलेगी जानकारी

Varanasi Chandraprabha Sanctuary News: वाराणसी के चंद्रप्रभा अभ्यारण्य के जल्द अच्छे दिन आने वाले हैं, यहां नया टूरिस्ट स्पॉट बनने जा रहा है। यहां आने वाले पर्यटक एडवेंचर और ट्रैकिंग का भी आनंद उठा सकेंगे। एडवेंचर और ट्रैकिंग के शौकीनों को आने वाले दिनों में चंद्रप्रभा अभ्यारण्य में यह सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। वन विभाग ट्रेकिंग स्पॉट तैयार करेगा। आपको बता दें कि गुरुवार को वन मंत्री ने सर्किट हाउस में वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में जंगल में पर्यटन को बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे। 

इसके अलावा, एडवेंचर का शौक रखने वालों को खूंखार जंगली जानवर, झरने, विजयगढ़ और नौगढ़ पहाड़, पेड़ पौधों के बारे में जानकारी भी उपलब्ध हो सकेगी। दरअसल, बनारस और आसपास के जिलों में मौजूद जंगलों में पर्यटन को बढ़ाने के लिए जंगल में मौजूद पहाड़ों के बीच ट्रेकिंग स्पॉट को विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। वन मंत्री ने चंद्रप्रभा अभ्यारण्य में ट्रैकिंग और एडवेंचर का सर्वे करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। सर्वे के बाद इसका प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। आपको बता दें कि वाराणसी जिला मुख्यालय से 68 किलोमीटर दूर चंद्रप्रभा वाइल्डलाइफ सेंचुरी को लोग चंद्रप्रभा के नाम से जानते हैं। 

झरनों को देखने के लिए हर साल आते हैं हजारों पर्यटक

यहां इस सेंचुरी में पिकनिक स्थल हैं, इसके अलावा घने जंगल, राजदरी और देवदरी जैसे प्राकृतिक झरने भी बहते हैं। इन झरनों को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक यहां पहुंचते हैं। अभयारण्य में जंगली जानवरों की कई अन्य प्रजातियां भी हैं। यहां खरगोश, चौसिंह, नीलगाय, ब्लैकबक्स, लकड़बग्घा, चीतल, सांभर, चिंकारा और भारतीय चिंकारे समेत कई प्रकार के जानवर दिखाई देते हैं। 1958 में यहां पर तीन एशियाई शेर लाए गए थे। इसके बाद 1969 में यहां शेरों की संख्या 11 हो गई थी, लेकिन 1970 में यहां से सभी शेर लापता हो गए। इस वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना मई 1957 में हुई थी। 

पर्यटन को बढ़ाने का उद्देश्य 

प्रभागीय वनाधिकारी महावीर कौजलगी ने कहा कि बनारस और आसपास के जिलों में मौजूद जंगलों में पर्यटन को बढ़ाने का उद्देश्य है। इसके लिए वन मंत्री ने सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। चंद्रप्रभा को ट्रेकिंग और एडवेंचर के लिए तैयार किया जाएगा।
 

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