Varanasi Toy Exhibition: वाराणसी में शुक्रवार से देश भर के शिल्पी जुटेंगे। यहां बड़ालालपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में क्षेत्रीय खिलौना प्रदर्शनी लगाई जा रही है। प्रदर्शनी 30 मई तक चलेगी, जिसमें 13 राज्यों से आए 100 शिल्पी अपने खिलौनों की प्रदर्शनी लगाएंगे। इसमें बनारस के लकड़ी के खिलौनों की भी धूम दिखेगी। इसके अलावा असम, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मणिपुर, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक आदि राज्यों के शिल्पी भाग लेंगे।
इस प्रदर्शनी का आयोजन एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल कर रहा है। इसमें शिल्पियों के नए-नए प्रयोग देखने के लिए मिलेंगे। इसके साथ ही देश भर के उद्यमी, निर्यातक भी आएंगे। इससे शिल्प उत्पादों को बड़ा बाजार मिलने वाला है।
इस बारे में हस्तशिल्प विभाग के सहायक निदेशक अब्दुल्ला का कहना है कि, इस प्रदर्शनी में चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने, तेलंगाना के निर्मल खिलौने, चेन्नापटम खिलौने, किनहल समेत बेहतरीन कलेक्शन देखने को मिलेंगे। जयपुर की कठपुतली खास आकर्षण रहेंगे। इसमें इन खिलौनों में राजस्थानी वेशभूषा में राजा-रानी, कलाकार बने होते हैं। छोटे आकार के इन खिलौनों को उंगलियों में फंसाकर खेला जाता है। इतना ही नहीं इंदौर के चमड़े से बने खिलौने, चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने भी प्रदर्शित होंगे।
असम के धुबरी जिले में अशरीकंदी गांव में टेराकोटा से बने खिलौने भी काफी आकर्षित करते हैं। ये खिलौने अशरीकंदी शिल्पकला के नाम से मशहूर हैं। इन खिलौनों का निर्माण असम की हीरामती मिट्टी से किया जाता है। इस मिट्टी में रेत भी मिलाया जाता है। इन मिट्टी से खिलौने बनाने वाले सबसे अधिक शिल्पकार धुबरी जिले में हैं। गुड्डे-गुड़ियों, देवी-देवताओं की मूर्तियां, गमले, फूलदान आदि बनाए जाते हैं।
प्रदर्शनी को लेकर पिछले एक हफ्ते से तैयारी चल रही है। 27 मई को तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। डीएम और एसएसपी से आयोजन कमेटी ने सुरक्षाबलों की तैनाती को लेकर बात की है। प्रदर्शनी को लेकर प्रचार-प्रसार भी लगातार कराया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक लोग प्रदर्शनी में पहुंचे।
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