Varanasi Surgical Oncology News: वाराणसी में पित्त की थैली में कैंसर यानी गाल ब्लैडर के कैंसर की अब समय से पहचान हो सकेगी। मरीजों की जांच कराकर जरूरत के हिसाब से बेहतर इलाज भी कराया जा सकेगा। आईएमएस बीएचयू के सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. मनोज पांडेय, प्रो. वीके शुक्ला के निर्देशन में इस पर अध्ययन हुआ है। जिसका प्रकाशन होने के बाद अब आगे की कार्रवाई शुरू हो गई है। प्रो. मनोज पांडेय का कहना है कि 2017 से चल रहे अध्ययन में 300 मरीजों को शामिल किया गया था। इसमें सभी प्रकार के कैंसर के मरीज थे। अभी गाल ब्लैडर पर दो प्रयास चल रहे हैं।
पहला यह कि पित्त की थैली को पहचाना जा सके, इसकी कोशिश की जा रही है। उसको सामान्य गाल ब्लैडर या इससे जुड़ी अन्य बीमारी से अलग कर सकेंगे। मॉलीक्यूलर बायोलॉजी रिपोर्ट्स में यह रिपोर्ट पिछले महीने प्रकाशित हो चुकी है। बताया जा रहा है कि 946 जीन ऐसे पाए गए हैं, जो सामान्य गाल ब्लैडर और इसके कैंसर में अलग-अलग हैं। बायॉइंफार्मेटिक से पता चला कि 20 जीन बिल्कुल अलग हैं।
प्रो. मनोज पांडेय ने बताया कि केवल बीस जीन के इस्तेमाल से दोनों तरह की बीमारी के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी कि मरीज को गाल ब्लैडर का कैंसर है या नहीं। साथ ही यह भी पता लग पाएगा कि 20 जीन काम के हैं या नहीं। अध्ययन में शोध छात्र रूही दीक्षित और मोनिका राजपूत भी हैं। दूसरा प्रयास चल रहा है कि पित्त की थैली के जेनेटिक्स एनलिसिस से जान सकें कि किस मरीज को ठीक किया जा सकता है और कैसे।
वहीं, बीएचयू अस्पताल और ट्रामा सेंटर में आने वाले दिनों में ऑपरेशन कराने वाले मरीज अब परेशान नहीं होंगे। आईएमएस बीएचयू ने अब दोनों जगहों पर ओटी पैकेज सिस्टम लागू करने का फैसला लिया है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता ने बताया कि विभिन्न रोगों के इलाज के लिए पैकेज सिस्टम की खुली निविदा की जा रही है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद कई बीमारियों और ऑपरेशन प्रक्रिया का मूल्य तय हो जाएगा। इसके भुगतान के बाद मरीज को किसी भी तरह की जांच, दवा या प्रत्यारोपण चिकित्सालय के द्वारा ही उपलब्ध कराई जाएगी।
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