Varanasi School News: वाराणसी में अब स्कूलों की घंटी बजते ही बच्चे धोएंगे हाथ, बीएसए ने दिए ये निर्देश

Varanasi News: वाराणसी में सरकारी स्कूलों के बच्चों को हाथ धोने के लिए अनोखे तरीके से जागरूक किया जाएगा। खाना खाने से पहले घंटी बजाई जाएगी और बच्चों को हाथ धोने के लिए कहा जाएगा।

Varanasi School News
प्रतीकात्मक तस्वीर  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • वाराणसी में स्कूली बच्चों को हाथ धोने के लिए जागरूक करने की अनोखी पहल
  • अब स्कूलों में घंटी बजते ही बच्चे धोएंगे हाथ
  • बीएसए को स्कूलों में घंटा लगवाने का आदेश

वाराणसी जिले में सरकारी स्कूलों में बच्चों को खाना खाने से पहले हाथ धोने के लिए अनोखे तरीके से जागरूक किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इस अनोखी पहल को शुरू करने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। स्कूलों में मध्याह्न भोजन के पहले घंटी बजाकर बच्चों को हाथ धोने के लिए जागरूक किया जाएगा। इससे पहले कुछ स्कूलों में 'बजेगी घंटी धुलेगा हाथ' थीम पर शुरू अभियान से बच्चों में हाथ धोने की सतत प्रक्रिया से उनके व्यवहार में बदलाव आया है। 

प्रदेश सरकार ने अभियान की प्रशंसा कर विभिन्न जिलों के बीएसए को स्कूलों में घंटा लगवाने का आदेश दिया है। जिसके बाद मिड डे मील के पहले स्कूलों में घंटा बजाकर बच्चों को हाथ धोने के लिए कहा जाएगा।

प्रधानाध्यापकों को बीएसए ने दिया निर्देश

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि स्कूल में शुरू किए गए इस अभियान से बच्चों के व्यवहार में बदलाव आया है। इसके माध्यम से बच्चों में स्वस्थ रहने की भावना विकसित की जा रही है। उन्होंने बताया कि इसे देखते हुए जिले के सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को मिड डे मील से पहले स्वच्छता घंटी बजाकर बच्चों से हाथ धुलवाने का निर्देश दिया है। उधर शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत वाराणसी जिले में वर्तमान शैक्षिक सत्र में नया रिकॉर्ड कायम हुआ है। 

आरटीई के तहत सात हजार बच्चे पहुंचे स्कूल

इससे पहले कभी भी इतनी बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में नहीं हुआ था। सत्र 2022-23 में निजी स्कूलों में 7321 गरीब और अलाभित समूह के बच्चों का प्रवेश शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हुआ है। अभी तीसरी लॉटरी के लिए 10 जून तक आवेदन किया जा सकता है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सभी निजी स्कूलों को आरटीई के तहत गरीब व सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश देने के निर्देश दिए थे। इन बच्चों को कक्षा आठ तक निशुल्क शिक्षा देने के साथ सरकार निजी स्कूलों को 450 रुपये प्रतिमाह प्रति छात्र फीस प्रतिपूर्ति करती है।

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