Varanasi Ganga River: गंगा नदी को धार्मिक ग्रंथों में माता का दर्जा दिया गया है और इसकी पूजा भी की जाती है। गंगा को साफ और शुद्ध करने की योजना भारत में 1980 के दशक से शुरू हो गई थी। यहां तक कि, 2014 में बनी मोदी सरकार की अगुवाई में गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए एक मंत्रालय का भी गठन किया गया। वहीं शुद्धता के लिए 'नमामि गंगे' अभियान भी चलाया गया। लेकिन ये सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया है। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए सरकार ने बनारस में 6 एसटीपी का निर्माण किया, जिनमें शहर से निकलने वाले नालों के कचरे को गंगा में जाने से रोका जा सके और इनको नियमित शोधित किया जा सके।
रमना एसटीपी प्लांट को 'नमामि गंगे' परियोजना के तहत लगाया गया था। इस प्लांट की क्षमता 50 एमएलडी है, लेकिन यहां पर अस्सी भदैनी से लेकर बरेका तक का सीवर जा रहा है। यहां तक कि, नगवा पंप स्टेशन के पास दीवार बन जाने की वजह से शाही नाले का पानी भी अब सीधे रमना एसटीपी के पास कलेक्ट हो रहा है। इसकी वजह से 50 एमएलडी की क्षमता वाला बनाया रमना एसटीपी सीधे तौर पर 120 एमएलडी से ज्यादा सीवर का सामना कर रहा है। इसकी वजह से वह 50 एमएलडी अपनी क्षमता के हिसाब से शोधित कर पा रहा है, बाकी 70 एमएलडी सीवर और कचरा सीधे गंगा में समाहित हो रहा है।
गंगा में कचरा जाने से रोकने के लिए पहले फेज में नमामि गंगे योजना के तहत दीनापुर में भी एसटीपी बनाया गया था। सांइसटिस्टो के मुताबिक, इसकी क्षमता 140 एमएलडी है। इस प्लांट में पहले वरूणा नदी के माध्यम से गंगा में सीवर जाता था, उसको रोकने के लिए इस प्लांट को लगाया था। बढ़ती आबादी के बीच अब यहां पर रोजाना 180 से 190 एमएलडी के आसपास कचरा और सीवर जा रहा है। इस कारण बचे हुए सीधे 40 से 50 एमएलडी कचरा वरूणा के रास्ते हुए गंगा में जा रहा है।
महाप्रबंधक जलकल वाराणसी रघुवेंद्र कुमार ने इस बारे में कहा कि, शासन की तरफ से नए एसटीपी प्लांट के लिए प्रपोजल भेजा गया है। जैसे ही शासन की तरफ से अनुमोदन आ जाता है, वैसे ही नए प्लांट बनाने का काम शुरू हो जाएगा। यह सही है कि, रमना एसटीपी के पास ज्यादा मात्रा में सीवर जा रहा है, जिसकी वजह से जो शेष बचता है, वह सीधे गंगा में जा रहा है।
दीनापुर, गोइठहां, रामनगर, भगवानपुर, रमना और शेवागे
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