वाराणसी : वाराणसी के श्मशान घाटों पर इन दिनों गहमागहमी काफी बढ़ गई है। घाटों पर लाशें जलाने का क्रम टूट नहीं रहा है। अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले लोगों में एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की हैं जो कोरोना से जान गंवाने वाले अपनी करीबियों का दाह-संस्कार कराने के लिए पहुंच रहे हैं। वाराणसी के मशहूर श्मशान घाट हरिश्चंद्र घाट की आलम भी कुछ ऐसा है। यहां अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले लोगों को शव जलाने के लिए भरी दुपहरी में घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। लोगों की परेशानी इतनी भर नहीं है। यहां दाह संस्कार कराने के लिए उनसे भारी-भरकम राशि की मांग की जा रही है।
एक व्यक्ति को 11,000 रुपए देने पड़े
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक लहरतारा में एक डिपार्टमेंडल स्टोर चलाने वाले राजेश सिंह (35) के चाचा की मौत कोविड-19 की वजह से हुई। राजेश अपने चाचा के दाह-संस्कार के लिए हरिश्चंद्र घाट पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए घाट पर उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा। सिंह का कहना है कि घाट के 'प्रबंधक' ने उनसे 11,000 रुपए की मांग की और जब उन्होंने इसका विरोध किया तो 'प्रबंधक' ने उनसे लाश वहां से ले जाने के लिए कहा। सिंह का कहना है कि दाह संस्कार के लिए लकड़ी और सामग्री की कीमत 5000 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
मोलभाव करने का समय नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक घाटों पर पीड़ितों से ज्यादा पैसे वसूलने की यह पहली घटना नहीं है। इन दिनों उत्तर प्रदेश के ज्यादातर श्मशान घाटों का यही हाल है। कोरोना की वजह से अपने प्रियजनों को खोने वाले लोगों से घाटों पर जरूरत से ज्यादा पैसे लिए जा रहे हैं। शव जलाने के लिए लोगों को पैसे देने के सिवाय कोई और विकल्प नहीं है। घाटों पर शवों के ढेर को देखते हुए मोलभाव करने के लिए लोगों के पास न तो समय और न धैर्य।
शव जलाने के लिए पर्याप्त लकड़ी भी नहीं
सिंह ने टीओआई से बातचीत में कहा, 'दाह-संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी और सामग्री पहले 3,000 से 4,000 रुपए में उपलब्ध हो जाती थी लेकिन अब इसके लिए 11,000 रुपए या उससे अधिक वसूला जा रहा है। लकड़ी की मात्रा भी कम है लेकिन आप उनसे कुछ पूछ नहीं सकते। लोग शवों के साथ कहां जाएंगे?' एक अन्य व्यक्ति ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, 'मैंने अपनी चाची को 14 अप्रैल को खो दिाय। हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार के लिए मुझे 22,000 रुपए देने पड़े। शनिवार को मेरी दादी का भी निधन हो गया। इस बार मुझे 30,000 रुपए का भुगतान करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पहले के रेट को भूल जाओ। क्या तुम देख नहीं सकते कि घाट पर कितनी लाशें कतार में हैं? इसके बाद मुझे पैसे देने पड़े।' व्यक्ति ने बताया, 'ज्यादा पैसे देने के बावजूद घाटों पर इंतजाम संतोषजनक नहीं है। शव जलाने के लिए लकड़ी पर्याप्त नहीं दी जा रही है। '
Varanasi News in Hindi (वाराणसी समाचार), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।