Varanasi News: लोगों को तत्काल सेवा देने वाली 108 एंबुलेंस दो लोगों की मौत का कारण बन गई है। डायरिया से पीड़ित किशोरी अस्पताल जाने के लिए सड़क पर तड़पती रही, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। पीआरवी ने सदाशयता दिखाया और किशोरी को मिसिरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, लेकिन तब तक उसकी जान चली गई थी। इसी तरह गुर्दे की बीमारी से पीड़ित युवक जक्खिनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से पंडित दीनदयाल के लिए रेफर किया गया। डेढ़ घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से युवक की रास्ते में ही मौत हो गई।
किशोरी और युवक के परिजनों का कहना है कि, अगर समय पर एंबुलेंस मिल जाती तो हमारे बच्चों की मौत नहीं होती। दरअसल, राजातालाब थाना क्षेत्र के बैरवन गांव के रहने वाली 15 वर्षीय सुषमा देवी को उल्टी-दस्त एवं पेट दर्द की समस्या थी।
डायरिया से पीड़ित सुषमा को उसके पिता ओमप्रकाश अवैध रूप से संचालित किए गए जा रहे निजी अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन वहां किसी ने उसका इलाज नहीं किया। प्रशासन की सख्ती के कारण डॉक्टरों ने इलाज करने से इंकार कर दिया। इसके बाद ओमप्रकाश ने डायल 108 पर कॉल करके एंबुलेंस का डेढ़ घंटे तक इंतजार किया पर एंबुलेंस नहीं आई। इनकी बेबसी देखकर ग्रामीणों ने डायल 112 पर सूचना दी तो पीआरवी के जवान ने किशोरी को सीएचसी पहुंचाए, लेकिन उसकी जान नहीं बची।
सुषमा का तीन साल का भाई देवशंकर और 10 साल की बहन सुष्मिता भी डायरिया से पीड़ित है। यह दोनों अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं, आराजीलान के जक्खिनी के रहने वाले राधेश्याम उपाध्याय के पोते सुमित उपाध्याय गुर्दे की बीमारी से पीड़ित था। राधेश्याम पोते का इलाज कराने के लिए सुबह 10 बजे जक्खिनी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। यहां डॉक्टर ने युवक की स्थिति गंभीर देखकर उसे रेफर कर दिया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से वह अस्पताल समय पर नहीं पहुंच सका और रास्ते में जान चली गई।
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