नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में देव दीपावली मनाने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। इस बार की देवदीपाली कितनी भव्य और दिव्य थी, इसका नजारा तस्वीरों और वीडियोज के माध्यम से पूरे देश ने देखा। वाराणसी के राज घाट पर प्रधानमंत्री के दीया जलाने के साथ ही इस उत्सव की शुरुआत हुई और गंगा नदी के दोनों किनारों पर 11 लाख दीप जल उठे। प्रधानमंत्री ने यहां क्रूज की सवारी और लेजर शो का आनंद लिया। बाबा विश्वनाथ की नगरी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए यूपी सरकार ने जो इंतजाम किए उसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री ने भी की।
काशी नगरी का महत्व पुरातन काल से है और बाबा विश्वनाथ की यह नगरी काफी अहम मानी जाती है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात से केंद्र की राजनीति में आए तो उन्होंने संसदीय क्षेत्र के रूप में इसी जगह को चुना। यही वजह है कि पहले इस नगरी का विकास पीएम मोदी और अब सीएम योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में शामिल है। वैसे तो काशी नगरी में 18 हजार करोड़ की परियोजनाएं का लोकार्पण और शिलान्यास पिछले छह वर्षों में हुआ है लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर इन परियोजनाओं में सबसे अहम है।
पीएम मोदी ने 2019 में इस कॉरिडोर का शिलान्यास किया था
पीएम मोदी ने 2019 में इस कॉरिडोर का शिलान्यास किया था और अगले वर्ष यानि अगस्त 2021 में यह बनकर तैयार हो जाएगा। 400 मीटर लंबे इस कॉरिडोर का निर्माण करीब 600 करोड़ रुपये से हो रहा है। प्रस्तावित मॉडल के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर के क्षेत्र समेत कुल 39 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में कॉरिडोर का निर्माण होगा। यह कॉरिडोर गंगा नदी के ललिता घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर से सीधे जुड़ रहा है। खास बात ये है कि इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए घंटों लाइन नहीं लगानी होगी। कुछ ही मिनटों में भक्त अपने बाबा के दर्शन कर पाएंगे।
ऐसा बन रहा है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 60 प्राचीन मंदिर संरक्षित रखे गए हैं। इसके निर्माण के लिए 360 भवन हटाए गए हैं। इसमें मंदिर के चारों तरफ एक परिक्रमा मार्ग, गंगा घाट से मंदिर में प्रवेश करने पर बड़ा गेट, मंदिर चौक, 24 बिल्डिंग जिनमें गेस्ट हाउस, 3 यात्री सुविधा केन्द, पर्यटक सुविधा केन्द्र, स्टॉल, पुजारियों के रहने के लिए आवास, आश्रम, वैदिक केन्द्र, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, मुमुक्ष भवन बनाया जा रहा है। इन कॉरिडोर का निर्माण लाल पत्थर से हो रहा है। श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद कॉरिडोर से सीधे मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेन घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच सकेंगे।
संकरी गलियों से मिलेगी भक्तों को मुक्ति
पत्थरों को तराश कर इतनी शानदार नक्काशी उकेरी गई है, जो अपने आप में अद्भुत है। इसमें तीस मंदिर ऐसे हैं, जिनका जिक्र तो स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है। इस कॉरिडोर के बनने के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर की सूरत पूरी तरह बदल जाएगी। वहीं मंदिर की सुरक्षा भी एयरपोर्ट जैसी होगी। कॉरिडोर बन जाने पर श्रद्धालुओं को संकरी गलियों से विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने से मुक्ति मिल जाएगी।
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