जेनेवा : कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रोपगैंडा एवं झूठ की पोल खुलना जारी है। अब वाशिंगटन डीसी में इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगिट-बाल्टिस्तान के निदेशक सेंगे एच सेरिंग ने पाकिस्तान के प्रोपगैंडा को बेनकाब किया है। गिलगिट-बाल्टिस्तान के एक्टिविस्ट सेरिंग ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) के 42वें सत्र में कहा कि गिलगिट-बाल्टिस्तान भारत का हिस्सा है और संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को यह समझने की जरूरत है कि 70 वर्षों से पाकिस्तान एक बड़ा बाधक बन गया है। सरेंगि ने कहा कि अनुच्छेद 370 समाप्त करने के भारत सरकार के फैसले पर पाकिस्तान हाय-तौबा मचा रहा है लेकिन कश्मीर पर बात करने का उसे हक नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने का एक जरिया बन गया था।
उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 370 धार्मिक एवं जातीय समूहों पर ज्यादती करने के लिए जम्मू-कश्मीर के कुछ लोगों के पास एक वीटो पावर के तौर पर था। साथ ही पाकिस्तान इस अनुच्छेद का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में करता था। इस अनुच्छेद से लाभ लेने वाले पाकिस्तानी फौज के समर्थक बन गए थे और वे जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ा रहे थे।'
सेरिंग ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'यदि आप अनुच्छेद 370 को उन्हें 500 वर्षों के लिए और दे देते तो भी वे इस यथास्थिति बनाकर रखना पसंद करते। यही कारण है कि पाकिस्तान और कश्मीर के नेता इस अनुच्छेद का फायदा उठाते आ रहे थे।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को कश्मीर के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन वह हाय-तौबा मचा रहा है। भारत सरकार के निर्णायक फैसले का स्वागत करते हुए सेरिंग ने कहा, 'भारत वित्तीय बोझ और अपने सैनिकों की शहादत उठाता आया है लेकिन पाकिस्तान ने रणनीतिक फायदा उठाया। इस्लामाबाद गिलगिट-बाल्टिस्तान और कश्मीर के लोगों के साथ खड़े होने का दिखावा कर रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य जानते हैं कि पाकिस्तान ने कैसे अपने फायदे के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को 'इस्तेमाल' किया है।'
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के रुख पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय सहमत नहीं है और इस्लामाबाद अब अपना 'जेहादी कार्ड' खेलेगा और वह जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रखेगा।'