नई दिल्ली। भारतीय साहित्य के बारे में पश्चिमी जगत में सामान्य धारणा रही है कि उसमें फैंटेंसी का अंश ज्यादा है। इसके साथ ही पलायवाद में भारतीय ज्यादा विश्वास करते रहे हैं। भारतीय लौकिक साहित्य और दर्शन को एक खास खांचे में रखकर भी पश्चिम के विद्वान रामायण, रामचरित मानस और भगवदगीता को अलग नजरिए से देखते हैं। आज जब विश्व कोरोना काल में है, लाखों की संख्या में लोग अस्पतालों में हैं, लाखों लोग जान गंवा चुके हैं तो पश्चिम (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी) को भगवदगीता में उम्मीद की किरण के साथ साथा हौसला नजर आता है।
द यूरोपियन हॉर्ट जर्नल में लेख पब्लिश
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने द यूरोपियन हॉर्ट जर्नल में एक लेख छापा है जो भगवद् गीता से जुड़ा है। जिस तरह से महाभारत काल में जब कुरुक्षेत्र में पांडव और कौरव एक दूसरे के आमने सामने आए और अर्जुन अपने कर्तव्य पथ से विचलित नहीं हुए ठीक वैसे ही आज कोरोना काल में जो स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान की परवाह किए बगैर चुनौती का सामना कर रहे हैं वो आज के अर्जुन हैं। जर्नल में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अर्जुन के साथ अस्पतालों को कुरुक्षेत्र की संज्ञा दी गई है।
वायरस के खिलाफ जंग में कोरोना वॉरियर्स
आज के हालात में भगवद् गीता के एक अंश को रेखांकित करते हुए बताया गया है कि जब पांडव और कौरव सेना एक दूसरे के आमने सामने खड़ी हो गईं तो अर्जुन के सामने धर्मसंकट था कि वो कैसे अपने ही भाइयो, चाचा और स्वजनों के खिलाफ लड़ाई लड़ सकते हैं। उस समय उनके पथ प्रदर्शक श्रीकृष्ण ने बताया कि वो इस समय धर्म की रक्षा के लिए युद्धभूमि में हैं।
महाभारत और आज के काल में समानता का जिक्र
पांच जून के छपे इस लेख में हजारों साल पहले गीता में दिए गए उद्धरणों और आज के हालात में समानता दिखाई गई है। कि किस तरह से मुश्किल हालात में अर्जुन अधर्म के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे और किस तरह से आज स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। लेख में बताया गया है कि किस तरह से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में 64 लाख लोगों को संक्रमित कर चुका है और 4 लाख से अधिक लोग काल के गाल में समा चुके है।
मुश्किल हालात में डटे हैं कोरोना वॉरियर्स
जर्नल में यह भी बताया गया है कि किस तरह से अफरातफरी और लोगों के मारपीट का सामना करते हुए कोरोना वारियर्स बिना किसी स्वार्थ के अपने मकसद को अंजाम दे रहे हैं। कोरोना योद्धाओं से कहा कि जिस तरह से महाभारत में अर्जुन परिणाम की कामना से ऊपर उठकर अपने फर्ज को अदा करते रहे ठीक वैसे ही उन्हें भी इस मुश्किल हालात का सामना करना है।