जिनेवा [स्विटजरलैंड]: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक के दौरान एक कश्मीरी जुनैद कुरैशी ने पाकिस्तान को पूरी तरह बेनकाब कर दिया। एम्स्टर्डम स्थित थिंक-टैंक, यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के निदेश जुनैद कुरैशी ने पाकिस्तान की पोल खोलते हुए कहा कि 1980 के दशक के बाद से पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर के युवाओं का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे विभिन्न आतंकवादी संगठनों द्वारा किए जाने वाले हमलों के लिए किया।
कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद में धकेल रहा है पाकिस्तान
जुनैद खुद भी कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं और अलगाववादी नेता हाशिम कुरैशी के बेटे है। उन्होंने कहा, 'कानूनी रूप से, जम्मू और कश्मीर पर पाकिस्तान का कोई हक ही नहीं बनता है। नहीं है।' जुनैद ने संयुक्त राष्ट्र को बताया कि पाकिस्तान में हमारे साथी कश्मीरियों को मारने का आदेश दिया, हमारे युवाओं को अपने छद्म युद्ध में मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद का उद्देश्य इस्लामिक खलीफा और जम्मू-कश्मीर का पाकिस्तान में विलय करना था।
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग
जुनैद कुरैशी ने आगे कहा, 'जो हजारों कश्मीरी सहमत नहीं थे, वे इन आतंकवादी हमलों से मारे गए थे। भारतीय संविधान को मानने वालों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। आज, अपने विदेश मंत्री के नेतृत्व में, पाकिस्तान उस स्वायत्तता की वापसी की मांग कर रहा है जिसे जम्मू और कश्मीर ने पहले भारतीय संविधान के तहत हासिल किया हुआ है। उसी संविधान के खिलाफ, जिसने इस छद्म युद्ध की शुरुआत की जिसमें कश्मीरियों का नरसंहार किया गया।'
जुनैद की ये मांग
जुनैद ने संयुक्त राष्ट्र से कहा, 'इसके बावजूद कि पाकिस्तान ने हमारे सामाजिक ताने-बाने को तोड़ दिया, मेरे हजारों साथी कश्मीरियों की हत्या का आदेश दिया, हमारे युवाओं को अपने मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया। पाकिस्तान हमारी आतंक-नीति के खिलाफ हमारी स्वायत्तता को कमजोर करनेके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। क्या इस तरह की हरकत करने क बाद भी पाकिस्तान को ऐसे ही जाने दिया जाएगा। मैं विनम्रतापूर्वक इस परिषद को एक ऑडिट के लिए इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान को बुलाने का आग्रह करता हूं। और इस पर कार्रवाई करने की मांग करता हूं।'