इस्लामाबाद/बीजिंग : चीन में कोरोना वायरस कहर ढा रहा है। यहां अब तक 249 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 11,000 से अधिक लोगों के इस संक्रमण से पीड़ित होने की बात सामने आ रही है। इसका संक्रमण अन्य देशों में भी तेजी से फैलता जा रहा है। हालांकि पाकिस्तान में अब तक किसी मरीज के कोरोना वायरस से पीड़ित होने का मामला सामने नहीं आया है, पर उन बहुत से पाकिस्तानी छात्रों के लिए मुश्किल की स्थिति है, जो चीन के उस शहर में फंसे हैं, जहां इस वायरस के संक्रमण के कारण सबसे बुरा हाल है।
ये छात्र छात्र सोशल मीडिया और टीवी चैनलों के जरिये अपनी आवास पाकिस्तानी हुक्मरानों तक पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने कान बंद कर रखे हैं। दो लड़कियों ने एक टीवी चैनल से बातचीत में बताया कि वे वुहान में वुहान यूनिवर्सिटी की छात्राएं हैं। उन्हें यूनिवर्सिटी की तरफ से हर तरफ की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। मास्क और एंटीबायोटिक्स भी दिए गए हैं और सुबह के नाश्ते के साथ-साथ दोपहर का भोजन और रात का खान भी उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन वुहान में कई अन्य विश्वविद्यालय भी हैं, जहां बड़ी संख्या में पाकिस्तानी छात्र पढ़ते हैं।
वुहान में रहने वाले पाकिस्तानी छात्रों का कहना है कि हर यूनिवर्सिटी में उन्हें समान तरह की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और पाकिस्तान सरकार की ओर से भी उन्हें कोई मदद मुहैया नहीं कराई जा रही है। छात्रों का कहना है कि उन्हें मदद के लिए यहां वहां भटकना पड़ रहा है। कुछ छात्रों ने एक वीडियो जारी कर अपनी मुश्किलें बताई हैं, जिसमें एक छात्रा कहती सुनी जा रही है कि जब उन्होंने प्रांतीय सरकार से संपर्क किया तो उन्हें चीनी सरकार से संपर्क करने के लिए कहा गया और जब वे चीनी प्रशासन के पास पहुंचे तो उन्हें पाकिस्तानी दूतावास से संपर्क करने के लिए कहा गया और जब वे वहां पहुंचे तो दूतावास के अधिकारियों ने बेहद असंवेदनशीलता के साथ यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मौत तो अल्लाह के हाथ में है, यहां आनी हो या वहां आनी हो, आ ही जाएगी।
छात्रों का गुस्सा प्रधानमंत्री इमरान खान पर भी भड़क रहा है। उनका कहना है कि इमरान खान हमेशा अप्रवासी पाकिस्तानियों की बात करते हैं, लेकिन वुहान में इस संक्रमण को फैले डेढ़ महीने से भी अधिक समय हो गया है और उन्होंने यहां फंसे पाकिस्तानियों को लेकर एक ट्वीट तक नहीं किया, जबकि वर्ष 2018 में पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित करने में युवाओं और अप्रवासी पाकिस्तानी नागरिकों ने अहम योगदान दिया।
पाकिस्तानी छात्रों में इसलिए भी नाराजगी बढ़ रही है, क्योंकि दुनिया के कई देशों ने अपने नागरिकों को वहां से बाहर निकाला है और लगातार इसके लिए प्रयासरत हैं। भारत ने भी अपने 324 नागरिकों को वुहान से निकाला है, जबकि एक अन्य विमान को वहां से लोगों को लाने के लिए रवाना किया है। ब्रिटेन, अमेरिका के साथ-साथ मोरक्को जैसे छोटे देशों ने भी चीन में फंसे अपने नागरिकों को वापस स्वदेश बुलाने की कोशिशें तेज कर दी हैं, जबकि पाकिस्तानी छात्र अपने कमरे में बंद रहने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उन तक उनकी सरकार और दूतावास से कोई मदद नहीं पहुंच रही है।
ऐसे ही एक शख्स ने वुहान यूनिवर्सिटी से मोरक्को के छात्रों के रवाना होने का वीडियो शेयर किया है, जिसमें उसे कहता सुना जा रहा है, 'हमारी किस्मत में अब बस यही रह गया है कि हम रोजाना अपनी खिड़की से किसी न किसी देश के नागरिकों को अपने देश जाते देखते रहें। अपनी बेबसी पर शर्म आ रही है, खुदा का वास्ता है कुछ तो शर्म कर लो पाकिस्तानी हुक्मरानों, क्या तुम तब भी यही कहते, जब तुम्हारे बच्चे यहां फंसे होते।'
इस बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विशेष स्वास्थ्य सहायक जफर मिर्जा ने यह कहते हुए पाकिस्तान द्वारा वुहान से अपने नागरिकों को बाहर नहीं निकालने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि चीन वुहान में इस संकट से जूझने के लिए ठोस कदम उठा रहा है और इसमें सक्षम भी है, जबकि पाकिस्तान अब भी ऐसे वायरस के उपचार के लिए अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वहां से लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की जाती है और यह जंगल में आग की तरह फैल सकता है। इसके तिरिक्त पाकिस्तान की नीति भी चीन के साथ 'एकजुटता' दर्शाने की रही है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन से लोगों को बाहर ले जाने की अनुमति नहीं मिली है।
उन्होंने छात्रों के आरोपों को नकारा कि पाकिस्तान की सरकार को उनकी चिंता नहीं है। जफर मिर्जा ने कहा, 'सरकार अपने नागरिकों और उनके परिवारों की चिंता करती है, लेकिन वह भावुक होकर कोई फैसला नहीं लेना चाहती।'