इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी को इस बात की आशंका है कि देश पिछले एक साल से गलत दिशा में जा रहा है। इस बात का दावा एक सर्वे में हुआ है। फ्रांस स्थित संगठन इप्सोस ने 'कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे इन पाकिस्तान' नाम से रविवार को एक सर्वे रिपोर्ट जारी की। इस सर्वे में दावा है कि पांच पाकिस्तानी नागरिकों में से चार को आशंका है कि पिछले एक साल से देश गलत दिशा में जा रहा है।
चार मे से तीन ने मौजूदा हालात पर चिंता जताई
सर्वे के मुताबिक चार पाकिस्तानी नागरिकों में से तीन लोगों ने देश के मौजूदा हालत पर नाखुशी जाहिर की है। साथ ही इसी अनुपात में लोगों का मानना है कि देश की मौजूदा आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं। गत सितंबर में हुए इस सर्वे में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से 1000 सैंपल लिए गए। सर्वे में शामिल लोगों (महिला और पुरुष दोनों की संख्या 50-50 प्रतिशत) की उम्र 18 साल से अधिक है। इस रिपोर्ट में देश की बेरोजगारी की दशा पर चिंता जाहिर की गई है। गरीबी और महंगाई की वजह से यह पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत और बढ़ गई है।
75 प्रतिशत मुद्दे आर्थिक संकट से जुड़े
सर्वे के अनुसार लोगों ने देश को लेकर जो चिंताएं जताई हैं उनके 75 प्रतिशत मुद्दे आर्थिक संकट से जुड़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई और गरीबी में काफी बढ़ोतरी हुई है और ये दोनों चीजें पिछले साल अगस्त महीने के बाद शीर्ष पर हैं। सभी प्रांतों में आजीविका पर बढ़ता खर्च सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। इसके बाद सभी राज्यों में बेरोजगारी एवं गरीबी से लोग परेशान हैं। पंजाब एवं खैबर पख्तूनख्वा में की पांच सबसे बड़ी समस्याओं में भ्रष्टाचार शामिल है जबकि सिंध में बिजली कटौती की समस्या प्रमुख है। सर्वे में 20 में से केवल एक पाकिस्तानी ने मौजूदा स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बताया।
बेरोजगारी और बढ़ने की आशंका
सर्वे के अनुसार 'पांच पाकिस्तानी नागिरकों में से चार का कहना है कि अब से छह महीने बाद अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो जाएगी।' पांच में से दो लोगों का कहना है कि उनकी वित्तीय हालत कमजोर है और 50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की राय है कि अगले छह महीने में यह समस्या और बढ़ेगी। यही नहीं पांच में से चार नागरिक मानते हैं कि अगस्त 2018 के बाद उनकी नौकरी जाने का खतरा बना हुआ है। सर्वे में कहा गया है कि सितंबर 2020 में पाकिस्तान के लिए ग्लोबल कंज्यूमर इंडेक्स 28.9 प्रतिशत था जबकि विश्व में औसतन यह 41.8 फीसद है।