वाशिंगटन : यूक्रेन के मसले पर रूस और अमेरिका आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। रूस ने यूक्रेन से सटी अपनी सीमा पर हाल ही में लगभग 1 लाख सैनिकों की तैनाती की है, जिसके बाद इलाके में तनाव गहराता जा रहा है। अमेरिका खुलकर रूस के खिलाफ आ गया है और सैन्य संगठन NATO की ओर से भी रूस को खुली चेतावनी दी गई है, जिसके बाद यूरोप में बड़ा संकट पैदा होने के आसार बनते नजर आ रहे हैं। इस बीच अमेरिका ने रूस को आर्थिक प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी है।
यूक्रेन मसले पर अमेरिका और रूस के मौजूदा टकराव को द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद तत्कालीन सोवियत संघ और अमेरिका के बीच के शीतयुद्ध के काल के तनाव के तौर पर देखा जा रहा है और कहा जा रहा है कि अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो यूरोप में शीतयुद्ध के बाद का दूसरा सबसे बड़ा संकट पैदा हो सकता है। इस मसले पर मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच उस वक्त गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई, जब एक वीडियो कॉल के दौरान बाइडेन ने पुतिन को आर्थिक प्रतिबंधों की चेतावनी दी।
अमेरिका और रूस के बीच इस स्तर के तनाव को देखते हुए सवाल उठ रहा है कि दोनों मुल्कों के बीच यह विवाद क्या अचानक पैदा हुआ है? आखिर यूक्रेन पर क्यों भिड़ गए हैं दुनिया के दो शक्तिशाली देश? दरअसल, यूक्रेन ने पिछले दिनों आरोप लगया था कि रूस के 1 लाख से अधिक सैनिक सीमा पर डटे हैं। साथ ही बॉर्डर पर बख्तरबंद गाड़ियों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों की भी मौजूदगी है। ऐसे में चिंता पैदा हुई कि रूस किसी हमले की योजना तो नहीं बना रहा। वहीं रूस ने दावा किया कि यूक्रेन ने 1 लाख 20 हजार से अधिक सैनिकों को सीमा पर तैनात कर रखा है और वह पूर्वी हिस्से में रूस समर्थित विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र को दोबारा हासिल करने की साजिश कर रहा है।
रूस और यूक्रेन के बीच के इस हालिया तनाव की जड़ें 2014 के उस घटनाक्रम से जुड़ी हैं, जब रूसी सैनिक क्रीमिया में दाखिल हुए और उस पर कब्जा कर लिया। फिर एक जनमत संग्रह के द्वारा यह दिखाने का प्रयास हुआ कि क्रीमिया की जनता ने रूस का समर्थन किया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यूक्रेन न तो यूरोपीय संघ का सदस्य रहा है और न ही वह नाटो से जुड़ा है, लेकिन पश्चिमी यूरोप और नाटो के देशों के साथ उसकी नजदीकी रही है, जिससे रूस को हमेशा चिंताओं में डाला है। यहां अमेरिका के दखल को रूस ने हमेशा उसके सीधे हस्तक्षेप के तौर पर देखा और इन्हीं सबके बीच रूस ने अपनी सीमा से सटे यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया में सैनिक भेजे थे।