इस्तांबुल : तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन आधी आबादी के निशाने पर हैं। महिलाएं उनके खिलाफ सड़कों पर उतर आई हैं। वे 'काउंसिल ऑफ यूरोप्स इस्तांबुल' संधि से तुर्की के बाहर निकलने का विरोध रही हैं। तुर्की ने इसका ऐलान काफी पहले ही किया था, जिससे अब वह औपचारिक तौर पर अलग हो गया है। इसके बाद महिलाओं का गुस्सा एर्दोआन सरकार के खिलाफ भड़क गया है।
इस मसले को लेकर तुर्की में इस्तांबुल की सड़कों पर महिलाओं ने प्रदर्शन किया। तुर्की इस संधि से 1 जुलाई को औपचारिक तौर पर बाहर निकल गया, जिसे वह तकरीबन 10 साल पहले 2011 में जुड़ा था। महिलाओं को हिंसा से बचाने में अहम समझे वाले इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से तुर्की ने इस साल मार्च में बाहर होने की घोषणा की थी, जिसके बाद से ही यहां महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा है।
तुर्की में बीते कुछ महीनों से एर्दोआन सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है। इस्तांबुल सहित देश के कई शहरों में महिलाएं इसके विरोध में प्रदर्शन कर रही हैं और समझौते की बहाली की मांग कर रही हैं। तुर्की के इस कदम को महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें हिंसा से बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जिसकी आलोचना यूरोपीय कार्यकर्ताओं ने भी की है।
महिला कार्यकर्ताओं ने एर्दोआन सरकार के इस फैसले को 'विनाशकारी' करार दिया है। इसे कट्टरपंथियों के दबाव में लिया गया फैसला बताया जा रहा है। तुर्की को लेकर जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, उसके मुताबिक, इस संधि में महिलाओं के हक में कई ऐसी बातों का जिक्र है, जिसे तुर्की के रूढ़िवादी पसंद नहीं करते हैं। वे इसे पारिवारिक संरचनाओं को कमजोर करने वाला मानते रहे हैं।
इस्तांबुल संधि के नाम से चर्चित इस अंतरराष्ट्रीय समझौते में महिलाओं के खिलाफ लैंगिक हिंसा रोकने, पीड़ितों की रक्षा करने और अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए कदम उठाने की जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों को सौंपने का प्रावधान है, जिससे तुर्की का एक वर्ग नाखुश था। जिन लोगों ने इस संधि की समीक्षा की वकालत की थी, उसमें एर्दोआन की पार्टी के कुछ पदाधिकारी भी शामिल रहे हैं।
तुर्की की एर्दोआन सरकार ने महिलाओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित वाले इस समझौते से बाहर होने के बाद इस दिशा में एक अलग कार्ययोजना की घोषणा की है। इसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं की समीक्षा, संरक्षण सेवाओं में सुधार और हिंसा पर आंकड़े जुटाने जैसे लक्ष्यों को शामिल किया गया है। हालांकि तुर्की की महिलाएं इससे संतुष्ट नहीं हैं, वे इस्तांबुल संधि को बहाल करने की मांग पर अड़ी हैं।