नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के आगरा से हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां आभूषण की चोरी के संदेह में 18 महीने के बच्चे सहित छह लोगों के एक परिवार को लगभग 36 घंटे तक एक छोटे से कमरे में बंदी बनाकर रखा गया। जिन लोगों ने परिवार को बंदी बनाया उन्होंने कथित तौर पर परिवार के सदस्यों को प्रताड़ित भी किया। इसमें 12 साल के लड़के के साथ भी यातनाएं की गईं।
पीड़िता आमिर खान को बिजली के झटके दिए गए, सिगरेट के बटों से जलाया गया, पेट में लात मारी गई और चेहरे पर कई बार मुक्के भी मारे। इसके अलावा परिवार को इस दौरान भोजन और पानी भी उपलब्ध नहीं कराया गया। घायल और डरे हुए लड़के का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उसकी आंखों पर, चेहरे पर और शरीर के और भी अंगों पर गंभीर चोट के निशान दिखाते हैं।
डायल 112 टीम ने परिवार को बचाया
रविवार सुबह जब उसे और उसके परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए डायल 112 टीम आई तो बच्चा दर्द और डर से कांप रहा था। पीड़ितों की पहचान निजाम (48), उनकी पत्नी मुबीना (45), सोनू (20), रुक्साना (बहू), हसन (18 महीने का पोता) और अमीर खान के रूप में हुई है। इस परिवार को बंदी बनाने के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों में अबरार, मोहसीन, जुबैर, नदीम, श्यामा और दो अन्य अज्ञात लोग शामिल हैं।
बच्चे के साथ की ज्यादती
आमिर ने संवाददाताओं को बताया, 'शुक्रवार की दोपहर अबरार मुझे अपने घर की तीसरी मंजिल पर ले गया और मुझे एक कमरे में कैद करने के बाद मेरे साथ बेरहमी से मारपीट की। उसने मुझे पेट में लात मारी, मेरे चेहरे पर मुक्का मारा, बिजली के झटके दिए और मुझे सिगरेट के बट से जला दिया। वह चोरी हुए गहनों के ठिकाने को जानना चाहता था, जिसका मुझे कोई पता नहीं था। वह चोरी के लिए मुझ पर आरोप लगा रहा था।'
पीड़ित के पिता निजाम ने कहा, 'जब आमिर शुक्रवार शाम 7.30 बजे तक घर नहीं लौटा, तो मैंने उसे फोन किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। बाद में लगभग 8 बजे अबरार एक अन्य व्यक्ति के साथ मेरे घर आया और पूरे घर की तलाशी ली। जिसके बाद उन्होंने मुझे और मेरी पत्नी मुबीना को अपने घर पर उनके साथ आने के लिए कहा।' घर में निजाम और मुबीना के साथ मारपीट की गई और उन्हें एक कमरे में कैद कर दिया गया।
8 साल का बच्चा भागने में सफल रहा
उन्होंने बताया कि जब मेरा बड़ा बेटा सोनू हमारे बारे में पूछताछ करने आया, तो उसे भी तीसरी मंजिल के कमरे में खींच लिया गया और उसके साथ मारपीट की गई। हालांकि, वह भागने में कामयाब रहा और मदद के लिए फोन करने के लिए छत से कूद गया, लेकिन अबरार और उसके लोगों ने पकड़ लिया। अबरार ने मेरी बहू रुक्साना और उसके बेटे समीर (8) को सोनू को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए मदद के बहाने बुलाया, लेकिन इसके बजाय उसने रुक्साना और उसके 18 महीने के बेटे हसन को भी हमारे साथ कैद कर लिया। समीर भागने में सफल रहा।
'पुलिस ने आरोपियों को छोड़ दिया'
समीर ताजगंज में रिश्तेदारों से संपर्क करने में कामयाब रहा और फिर उसने पुलिस सहायता के लिए 112 पर कॉल किया। डायल 112 टीम द्वारा बचाए जाने के बाद पीड़ितों को शाहगंज पुलिस स्टेशन लाया गया, लेकिन पूरा रविवार बीत गया और कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। आरोपी व्यक्तियों को छोड़ दिया गया। पीड़िता मुबीना ने कहा, 'पुलिस ने 50,000 रुपए लिए और अबरार और उसके लोगों को छोड़ दिया। हम पूरा दिन पुलिस स्टेशन में बैठे रहे, लेकिन उन्होंने हमें मेडिकल सहायता भी नहीं दी।'
बाद में मामला दर्ज
हालांकि एसएचओ शाहगंज सत्येंद्र सिंह राघव ने कहा, 'परिवार अनपढ़ था और शिकायत लिखना नहीं जानता था। इसलिए, रविवार को प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी, लेकिन स्थानीय निवासियों की मदद से सोमवार को मामला दर्ज किया गया।'
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