- आर्थिक सर्वे 2020-21 पेश किया गया
- आर्थिक सर्वे बजट से पहले संसद में पेश किया जाता है
- पीएम मोदी ने कहा कि यह बजट भी 4-5 मिनी बजट की सीरीज में ही देखा जाएगा
वर्ष 2021 का बजट सत्र आज (29 जनवरी) से शुरू हुआ। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वे 2020-21 लोकसभा में पेश कर दिया गया है। 1 फरवरी 2021 को पेश किए जाने वाले बजट से पहले संसद के पटल पर रखी गई समीक्षा में अर्थव्यवस्था की स्थिति की विस्तार से जानकारी दी गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में 23.9% जबकि दूसरी तिमाही में 7.5% की गिरावट आई है। पूरे वित्त वर्ष में 7.7% की गिरावट का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 11% रहने का अनुमान है। आर्थिक सर्वे बजट दिवस से पहले पेश किया जाता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमणियम की अगुवाई वाली टीम ने 2020-21 की आर्थिक सर्वे तैयार किया है। इसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानकारी दिए जाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए आगे किए जाने वाले सुधारों के बारे में सुझाव दिए गए हैं। कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद है।
आर्थिक समीक्षा में उच्च आर्थिक वृद्धि दर और देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिये अन्य उपायों के अलावा विशेषकर प्राइवेट सेक्टर में नवोन्मेष को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया गया है। आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए वित्त मंत्री कहा कि वर्ष 2007 में वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक के अस्तित्व में आने के बाद 2020 में पहली बार भारत 50 शीर्ष नवोन्मेषी देशों में शामिल हुआ। वर्ष 2020 में भारत 48 पायदान पर आ गया, जो 2015 में 81 पर था। उन्होंने कहा कि भारत मध्य और दक्षिण एशिया में पहले नम्बर पर और निम्न मध्यम आय वर्ग की अर्थव्यवस्थाओं में तीसरे नंबर पर रहा। आर्थिक समीक्षा में अनुसंधान पर अधिक जोर देने की जरूरत का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भारत को उच्च वृद्धि हासिल करने का रास्ता अपनाने और निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए नवोन्मेष पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
सर्वे के अनुसार इसके लिए अनुसंधान और विकास पर कुल व्यय वर्तमान में जीडीपी के 0.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत से अधिक करने की जरूरत है। इसमें आरएंडडी (अनुसंधान एवं विकास) कर्मियों और देश के अनुसंधानकर्ताओं खासतौर से निजी क्षेत्र के लोगों को उचित तरीके से शामिल करने का आह्वान किया गया है। अनुसंधान एवं विकास पर भारत का सकल घरेलू व्यय जीडीपी का 0.7 प्रतिशत (वास्तविक रूप से 0.65 प्रतिशत) है जो विश्व की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के व्यय (1.5 से 3 प्रतिशत) से कम है।
सर्वे में कहा गया है कि सरकारी क्षेत्र का कुल अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) में काफी बड़ा योगदान है जो अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के औसत का तीन गुना है। इसके अनुसार लेकिन जीईआरडी में कंपनी क्षेत्र का योगदान भारत में सबसे कम है। कंपनी क्षेत्र का अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कुल आरएंडडी कर्मियों और अनुसंधानकर्ताओं को योगदान काफी कम है।
समीक्षा में कहा गया है कि नवोन्मेष के लिए अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक उदार कर प्रोत्साहनों के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है। यह स्थिति इस बात की आवश्यकता की ओर संकेत करती है कि भारत के व्यावसायिक क्षेत्र को अनुसंधान और विकास में निवेश पर्याप्त रूप से बढ़ाना चाहिए।
इसमें कहा गया है, नवोन्मेष पर भारत का प्रदर्शन अपेक्षा के मुकाबले कम रहा है। कुल जीईआरडी में कंवपी क्षेत्र का योगदान वर्तमान 37 प्रतिशत से बढ़ाकर 68 प्रतिशत करने की आवश्यकता है।
सर्वे में नवोन्मेषी कार्य प्रणाली को बढ़ावा देने के प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने का सुझाव दिया गया है, जिसमें ऋण शोधन अक्षमता का समाधान आसान करने में सुधार, कारोबार शुरू करने की सुगमता, राजनैतिक और परिचालन संबंधी स्थिरता, अतिरिक्त व्यवसाय की नियामक गुणवत्ता शामिल है। इसमें कहा गया है कि भारत को नवोन्मेष में अग्रणी रहने और 2030 तक 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं तक पहुंचने के लिए देश में दायर कुल पेटेंट आवेदनों में उसके निवासियों का हिस्सा संचयी आधार पर सालाना 9.8 प्रतिशत की दर से बढ़ना चाहिए जो फिलहाल 36 प्रतिशत है। पेटेंट में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में योगदान 62 प्रतिशत है।
सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह इस दशक का पहला सत्र है और यह दशक भारत के उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आजादी के दीवानों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को तेज गति से सिद्ध करने का यह स्वर्णिम अवसर अब देश के पास आया है। इस दशक का भरपूर उपयोग हो इसलिए इस सत्र में पूरे दशक को ध्यान में रखते हुए चर्चाएं हों। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरान सभी प्रकार के विचारों की प्रस्तुति हो और उत्तम मंथन से उत्तम अमृत प्राप्त हो, यह देश की अपेक्षाएं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि 2020 में वित्त मंत्री को अलग-अलग पैकेज के रूप में एक प्रकार से 4-5 मिनी बजट देने पड़े। उन्होंने कहा कि यानी 2020 में एक प्रकार से मिनी बजट का सिलसिला चलता रहा। इसलिए यह बजट भी 4-5 मिनी बजट की सीरीज में ही देखा जाएगा, यह मुझे पूरा विश्वास है।