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RBI Monetary Policy Effect: जानिए आपके पैसे पर RBI मोनेटरी पॉलिसी अनाउंसमेंट्स का कितना पड़ा असर

Updated Aug 07, 2020 | 16:42 IST

RBI Monetary Policy Effect:आरबीआई ने अपने लेटेस्ट मोनेटरी पॉलिसी रिव्यू में रेट कटौती न करने का फैसला किया है। सेंट्रल बैंक ने पिछले बाई-मंथली रिव्यू में रेपो रेट को 2019 के शुरू में 6.50 से घटाकर 4.00 कर दिया।

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RBI Monetary Policy Announcements Effect on your money : RBI (रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया) ने महत्वपूर्ण पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला करते हुए रेपो रेट को 4% और रिवर्स रीपो रेट को 3.3% पर बरकरार रखा है। RBI की मोनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने सर्वसम्मति से रेट्स में कोई बदलाव न करने का सुझाव दिया। 2020 की शुरुआत से अब तक रेट्स में 115 बेसिस पॉइंट्स की भारी कटौती करने के बाद, RBI ने महंगाई सम्बन्धी दबाव का हवाला देते हुए रेट कटौती रोक दी है। आइए देखते हैं कि आपके पैसे पर RBI की MPC के सुझाव का कैसा असर पड़ने वाला है।

रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

RBI ने अपने लेटेस्ट मोनेटरी पॉलिसी रिव्यू में रेट कटौती न करने का फैसला किया है। सेंट्रल बैंक ने पिछले बाई-मंथली रिव्यू में रेपो रेट को 2019 के शुरू में 6.50 से घटाकर 4.00 कर दिया जहां सिर्फ 2020 में 115 बेसिस पॉइंट्स कम हुए। सेंट्रल बैंक ने ये भी माना कि मार्च से जून तक काफी रेट कटौती हुई है। लेंडिंग रेट्स में ऐतिहासिक गिरावट आई है। इसलिए, यह एक नया लोन लेने, अपने मौजूदा लोन को रिफाइनेंस करने या एक बड़ा प्री-पेमेंट करने का सही समय है। RBI ने कमर्शियल बैंक्स को अपने इंटरेस्ट रेट्स को एक बाहरी बेंचमार्क जैसे रेपो रेट से जोड़ने का निर्देश दिया है। RBI ने फ़िलहाल रेपो रेट कटौती रोक दी है लेकिन इसने अतीत में रेपो रेट में भारी कटौतियां की हैं। आप अपनी EMI कम करने के लिए MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट) लोन या BLR (बेस लेंडिंग रेट) लोन से रेपो-लिंक्ड लोन में जा सकते हैं। लेकिन, याद रखें कि भविष्य में RBI द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने पर, रेपो-लिंक्ड लोन का इंटरेस्ट रेट बढ़ जाएगा।

रिटेल लोन की रिस्ट्रक्चरिंग

इस अनाउंसमेंट में आर्थिक या वैश्विक-महामारी के कारण रीपेमेंट से जूझ रहे उधारकर्ताओं के लिए पर्सनल लोन को रिस्ट्रक्चर करने का प्रस्ताव दिया गया। RBI ने रिस्ट्रक्चरिंग के योग्य लोन्स का वर्णन करने के लिए "पर्सनल लोन" शब्द का इस्तेमाल किया। अभी यह साफ़ होना बाकी है कि क्या अन्य रिटेल प्रोडक्ट्स जैसे कार या होम लोन के साथ भी ऐसा होगा। RBI ने कहा कि मार्च 2020 तक रेगुलर रीपेमेंट करने वाले उधारकर्ताओं को बैंक द्वारा तय किए गए फ्रेमवर्क के अनुसार लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा दी जा सकती है। इस फ्रेमवर्क को 31 दिसंबर तक निर्धारित करना होगा और वहां से 90 दिन के भीतर लागू करना होगा। इससे रिटेल लोन टेन्योर को, मोरेटोरियम लेकर या उसके बिना दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। अभी बैंकों की तरफ से रिस्ट्रक्चरिंग सम्बन्धी विवरण आना बाकी है। इसलिए, EMI देने में मुश्किलों का सामना कर रहे उधारकर्ताओं को अपने लेंडर्स के संपर्क में रहने की जरूरत है।

कॉन्टैक्टलेस और डिजिटल पेमेंट्स

पहली बार, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौजूदा वैश्विक-महामारी के कारण पैदा हो रही आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के तरीकों के बारे में बात करते समय एक MPR अनाउंसमेंट में "कॉन्टैक्टलेस" शब्द का इस्तेमाल किया है। मैंने संकटकाल में कॉन्टैक्टलेस और डिजिटल फाइनेंसिंग के इस्तेमाल पर जोर दिया है। मौजूदा समय में लोगों के मेलजोल को कम करना बहुत जरूरी है, इसलिए इस समय कॉन्टैक्टलेस तरीके से लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स लेना और डिजिटल लेनदेन करना जरूरी है।

RBI ने डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए कम या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले इलाकों में भी मोबाइल फोन, कार्ड, वॉलेट, इत्यादि से जुड़े पेमेंट सॉल्यूशन डेवलप करने का सुझाव दिया है। अब हमें इंटरनेट या स्मार्टफोन के बिना भी USSD कोड का इस्तेमाल करके UPI और मोबाइल पेमेंट की तरह कार्ड और वॉलेट आधारित पेमेंट सॉल्यूशन देखने को मिल सकता है।

गोल्ड लोन के लिए लोन-टू-वैल्यू में बढ़ोत्तरी

मौजूदा कोविड-19 संकट के कारण आर्थिक परेशानी झेल रहे परिवारों, उद्यमियों और छोटे कारोबारियों पर कोविड-19 वैश्विक-महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए, RBI ने गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए सोने के गहनों के बदले लिए गए लोन के लिए लोन-टू-वैल्यू अनुपात को 75% से बढ़ाकर 90% कर दिया है। इससे लोगों को मौजूदा पैसे की समस्या से निपटने के लिए ज्यादा उधार मिल सकेगा और वे कुछ दिनों के लिए पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए अपने बेकार पड़े सोने को गिरवी रखकर ज्यादा पैसे उधार ले सकेंगे। लेकिन, ऐसा करने से पहले गोल्ड लोन देने वाले लेंडर्स के ऑफरों की अच्छी तरह तुलना कर लें। याद रखें, लोन न चुका पाने पर लेंडर्स आपके द्वारा लोन के लिए गिरवी रखे गए सोने के गहनों को बेचकर अपना पैसा वसूल कर सकते हैं जो आपके लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है।

लोन मोरेटोरियम

RBI ने कोविड-19 संकट की फाइनेंसियल चुनौतियों से निपटने में लोगों की मदद करने के लिए 31 अगस्त तक लोन पेमेंट पर मोरेटोरियम दिया था। लेकिन RBI ने लेटेस्ट MPC मीटिंग में मोरेटोरियम को बढ़ाने का अनाउंसमेंट नहीं किया है। इसका मतलब है कि 1 सितम्बर से रेगुलर लोन पेमेंट शुरू हो सकता है। मोरेटोरियम के परिणामस्वरूप अनपेड इंटरेस्ट के कारण आपके लोन का बोझ बढ़ गया होगा। इसलिए, इस एक्स्ट्रा लोड को ख़त्म करने के लिए, अगले 12 महीने में, टाली गई EMI का लगभग 120% प्रीपेमेंट करने का लक्ष्य रखें। उदाहरण के लिए, यदि आपने पांच EMI टाली है तो अगले 12 महीने में अलग से छः EMI का प्रीपेमेंट करें। इससे कर्ज से जल्दी छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।

चेक पर पॉजिटिव पे

यह धोखाधड़ी को रोकने का एक ऑटोमैटिक तरीका है। इस सुविधा को 50,000 रु. के चेक के लिए शुरू किया गया है। इस अमाउंट का चेक इश्यू करने पर, आप बैंक को इसका डिटेल्स (जैसे सामने और पीछे की फोटो) दे सकते हैं। आपके लाभार्थी से यह चेक मिलने पर, बैंक आपके द्वारा अपलोड किए गए डिटेल्स के साथ उसे वेरीफाई करेगा।

फिक्स्ड डिपोजिट

RBI द्वारा रेपो रेट में कोई बदलाव न करने के कारण डिपोजिट और स्मॉल सेविंग स्कीम्स का इंटरेस्ट रेट भी फ़िलहाल कम ही रहेगा। लेकिन, इस समय पैसे को सुरक्षित रखना पैसे को बढ़ाने जितना जरूरी हो गया है, खास तौर पर रिस्क-परहेजी इन्वेस्टर्स के लिए जो मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट्स में इन्वेस्ट करके बेकार का रिस्क लेना नहीं चाहते हैं। लेकिन, इन्वेस्टर्स अपने पैसे को कई हिस्सों में अलग-अलग टेन्योर के लिए इन्वेस्ट करके इसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं और इस तरह इन्वेस्टमेंट लूप तैयार करके भविष्य में इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर उसका लाभ भी उठा सकते हैं और अचानक हुई पैसे की तंगी से निपटने के लिए इस तरह ज्यादा-से-ज्यादा पैसों का इंतजाम करके रख सकते हैं। इसे FD लैडरिंग टेकनीक भी कहा जाता है।

ऑनलाइन पेमेंट्स से जुड़ी शिकायतों का निवारण

RBI के आदेशानुसार पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स, ऑनलाइन पेमेंट्स से जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए ऑनलाइन डिस्प्यूट रिजोल्यूशन (ODR) सिस्टम्स शुरू करेंगे। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा जिसकी शुरुआत असफल लेनदेनों के ODR सिस्टम्स से होगी। यह एक पेमेंट ट्रांजैक्शन सम्बन्धी शिकायत या विवाद से निपटने का पहला स्टेप है और इससे ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया आसानी होगी। इससे लोगों को डिजिटल तरीके से लेनदेन करते समय ज्यादा आत्मविश्वास मिलेगा।

इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

 

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