- देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर बोले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी
- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पेट्रोल की कीमत में वृद्धि बीते 7 साल में सबसे कम
- पुरी ने कहा कि कोविड-19 के बाद देश में पेट्रोल-डीजल की खपत ज्यादा बढ़ी
नई दिल्ली : केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि मोदी सरकार के पिछले सात सालों में पेट्रोल की कीमत में वृद्धि सबसे कम है। टाइम्स नाउ समिट 2021 के दौरान टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर एवं टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ 'फायरसाइड' में सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 1973 में जब वह विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे तो उस समय वह लम्ब्रेटा स्कूटर से आया-जाया करते थे। उस समय पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 1.25 रुपए थी। पुरी ने कहा, 'मैंने तबसे प्रत्येक सात साल के बाद पेट्रोल की कीमत का कैलकुलेशन किया है।' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सात वर्षों का जिक्र करना इसलिए सही है क्योंकि मोदी सरकार ने अपने सात वर्षों का कार्यकाल पूरा किया है।
हाल के दिनों में पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार हो रही वृद्धि की वजह से मोदी सरकार को विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ा है। कई राज्यों में नवंबर के पहले सप्ताह में पेट्रोल की कीमत 110 रुपए प्रति लीटर से ऊपर तक पहुंच गई। आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह पेट्रोल पर लगने वाले अपने उत्पाद शुल्क में प्रति लीटर 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपए की कटौती की थी। इसके बाद कई राज्यों ने अपने यहां डीजल और पेट्रोल पर लगने वाले वैट में कटौती की।
तेल की कीमत का चुनाव से संबंध नहीं-पुरी
नाविका कुमार के इस सवाल पर कि क्या सरकार ने दिवाली, यूपी चुनाव या टाइम्स नाउ समिट को देखते हुए पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती करने का फैसला किया। इस सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 दौर के बाद देश में पेट्रोल एवं डीजल की खपत ज्यादा है और जीएसटी का संग्रह स्थिर हुआ है। इसे देखते हुए सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले अपने उत्पाद शुल्क में कटौती करने का फैसला लिया। तेल की कीमतों पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती का चुनावों से कोई संबंध नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी देने वाली पहले की सरकारों ने ऑयल बॉन्ड जारी कर लोगों पर वित्तीय बोझ डाला। जबकि मोदी सरकार ने जिम्मेदारी की भावना के साथ काम किया। केंद्रीय मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि आप समस्या टालने के लिए ईंधन की कीमतों में कटौती नहीं कर सकते।
पहले क्यों नहीं हुई कटौती
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रम जारी रखने की वजह से सरकार पहले पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में कटौती करने का फैसला नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि तेल के दामों को लेकर कुछ नहीं कर सकते, पेट्रोल की कीमत बाजार भाव पर तय होती है। लॉकडाउन के बाद से क्रूड की कीमतें तेजी से बढ़ीं हैं। उन्होंने कहा कि 1973 से लेकर अब तक यदि सात-सात साल के कार्यकाल को देखा जाए तो इस सरकार के सात साल में पेट्रोल के दाम बढ़ने का प्रतिशत बेहद कम है।
एयर इंडिया के विनिवेश पर बोले
एयर इंडिया के विनिवेश पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार की यह विमानन कंपनी घाटे वाली कंपनी बन गई थी। अब इसे बंद करने और इसके विनिवेश पर फैसला होना था। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना महामारी की वजह से एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया में देरी हुई। हालांकि उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि एयर इंडिया की दूसरी नीलामी बोली उसके रिजर्व कीमत से अधिक रही। उन्होंने एयर इंडिया को सरकारी विमानन कंपनी बनाने के कांग्रेस सरकार के फैसले की भी आलोचना की।