- पिछली बार की तुलना में मजबूत है ऑस्ट्रेलियाई टीम
- स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की वापसी से बढ़ी है टीम की ताकत
- विराट कोहली की भारतीय टीम को खलेगी कमी, उनकी जगह को भरना होगा मुश्किल
मुंबई: ऑस्ट्रेलिया के युवा स्टार बल्लेबाज मार्नस लाबुशेन ने अबतक विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया के खिलाफ एक भी टेस्ट मैच नहीं खेला है बावजूद इसके मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर उसे आगामी टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बता रहे हैं। सचिन तेंदुलकर का मानना है कि मध्यम क्रम का ये बल्लेबाज 17 दिसंबर से एडिलेड में शुरू हो रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में एशियाई दिग्गजों के लिए परेशानी का सबब बनेगा।
विराट को जगह भरपाना टीम इंडिया के लिए होगा मुश्किल
सचिन तेंदुलकर का यह भी मानना है कि पहले टेस्ट के बाद विराट कोहली के स्वदेश लौटने से जो जगह खाली होगी उसकी भरपाई नहीं हो सकेगी। टीम को सीरीज के दौरान लगातार उनकी कमी खलेगी। उन्होंने यह भी कहा है कि विराट कोहली के भारत लौटने से युवा खिलाड़ियों के लिए खुद को साबित करने का मौका मिलेगा। विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया पिछले दौरे पर ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में मात देने वाली पहली एशियाई टीम बनी थी।
स्मिथ-वॉर्नर की वापसी से ऑस्ट्रेलिया को मिला है बल
टिम पेन की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के बारे में चर्चा करते हुए मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की वापसी के बाद टीम को बल मिला है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा टीम में तीन अहम खिलाड़ी हैं स्टीव स्मिथ और वॉर्नर के अलावा उन्होंने मार्नस लाबुशेन के ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम की अभिन्न हिस्सा बताया।
तीन अहम खिलाड़ियों के जुड़ने से बढ़ी है ताकत
उन्होंने कहा, पिछली बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत जिस ऑस्ट्रेलियाई टीम से भिड़ा था उसमें अब तीन अहम खिलाड़ी जुड़ गए हैं। वॉर्नर और स्मिथ टीम में वापस आ चुके हैं साथ ही लाबुशेन भी अब टीम में हैं।
पिछली एशेज सीरीज के दौरान स्टीव स्मिथ के बदले कन्कशन सब्सटीट्यूट के रूप में मैदान में उतरने के बाद लाबुशेन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार करियर में आगे बढ़ते गए। 26 वर्षीय लाबुशेन अबतक 14 टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल चुके हैं। जिसमें वो चार शतक सहित कुल 1459 रन बना चुके हैं। ऐसे में सचिन ने कहा, मौजूदा टीम पिछले दौरे की टीम की तुलना में कहीं बेहतर है। जब टीम में कई सीनियर खिलाड़ी नहीं थे। उसकी कमी थी और ऑस्ट्रेलिया ने उसे महसूस भी किया था।