- बिन्नी ने साल 2014 में किया था टीम इंडिया के लिए डेब्यू
- साल 2016 में टीम इंडिया के लिए आखिरी बार आए थे खेलते हुए नजर
- धोनी ने साल 2014 में दिया था इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका
नई दिल्ली: भारत के लिए 6 टेस्ट, 14 वनडे और 3 टी20 मैच खेलने वाले ऑलराउंडर स्टुअर्ट बिन्नी ने 30 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय और प्रथमश्रेणी क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। 37 वर्षीय बिन्नी ने इस फैसले के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के साथ अपने सबसे यादगार पल का खुलासा किया।
हालांकि बिन्नी के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि बांग्लादेश के खिलाफ साल 2014 में खेले गए वनडे मैच में असंभव सी जीत रही जिसमें 103 रन के स्कोर का बचाव करते हुए उन्होंने 4.4 ओवर में महज 4 रन खर्च करके 6 विकेट हासिल किए थे।
धोनी के हाथों टेस्ट कैप हासिल करना सबसे यादगार पल
लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह स्टुअर्ट बिन्नी का टीम इंडिया के साथ सबसे यादगार पल नहीं है। बिन्नी साल 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ नॉटिंघम में अपने टेस्ट डेब्यू को सबसे यादगार मानते हैं। इस मैच में उन्होंने 118 गेंद में 78 रन की शानदार पारी खेली थी। लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के हाथों टेस्ट कैप हासिल करना उनके करियर का सबसे यादगार पल रहा जिसे वो ताउम्र नहीं भूल पाएंगे।
उन्होंने कहा, भारतीय क्रिकेट टीम के साथ मेरा सर्वश्रेष्ठ पल एमएस धोने के हाथों नॉटिंघम में टेस्ट कैप हासिल करना रहा। इस पल को मैं सबसे ज्यादा याद करूंगा।'
धोनी के कहा था तुम डिजर्व करते हो टेस्ट टीम में जगह
इसके अलावा बिन्नी ने बताया कि धोनी ने उनसे टेस्ट डेब्यू के दौरान कहा था कि आपने घरेलू क्रिकेट में अपने शानदार प्रदर्शन के बल पर हासिल की है। उन्होंने ये भी बताया कि धोनी ने उन्हें प्रोत्साहित करके कहा था कि मैदान पर जाकर अपना खेल,खेलो, टीम तुम्हारे साथ है।
बिन्नी ने बताया, धोनी ने मुझसे कहा तुम टीम में जगह डिजर्व करते हो। तुमने रणजी ट्रॉफी में लगातार तीन-चार सीजन शानदार प्रदर्शन किया है। तुम टेस्ट क्रिकेट में भी अच्छा कर सकते हो बस यहा ये यकीन करना है कि मैं टेस्ट क्रिकेट में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकता हूं। उन्होंने मुझे ये आश्वासन भी दिया था कि पूरी टीम उनके साथ है वो चाहते थे कि मैं मैदान पर जाकर अपना खेल खेलूं।
संन्यास लेने का था सही समय
कर्नाटक को घरेलू स्तर पर कई उपलब्धियां दिलाने वाले बिन्नी ने कहा कि कोरोना संकट ने घरेलू किकेट पर बहुत असर डाला है। कोरोना के कारण घरेलू क्रिकेट को लेकर पैदा हुई अनिश्चितता ने उन्हे ये निर्णय लेने के लिए बाध्य किया। उन्हें लगता है कि ये संन्यास लेने का सही समय था।
उन्होंने कहा, एक क्रिकेटर के रूप में जब आप अभ्यास नहीं कर रहे होते हैं और आपके मैच खेलने के नहीं मिलते हैं तो वो वक्त बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में मुझे लगा कि एक प्रोफेशनल क्रिकेटर के रूप में मेरा सर्वश्रेष्ठ दौर गुजर चुका है। और मैं सिर्फ इसलिए क्रिकेट खेलना जारी नहीं कर सकता क्योंकि मुझे ऐसा करना पसंद है। मैं बहुत हद तक अपने प्रदर्शन पर भी निर्भर था। ऐसे में मुझे लगा कि संन्यास का ऐलान करने का सही वक्त है।