- 2003 विश्व कप में पाक के खिलाफ 98 रन बनाकर आउट हुए थे सचिन तेंदुलकर
- सचिन तेंदुलकर को पाक तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने आउट किया था
- भारत ने पाकिस्तान को इस मैच में 6 विकेट से मात दी थी
नई दिल्ली: भारत और चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के बीच मुकाबले हमेशा ही रोमांचक होते हैं और अगर भिड़ंत विश्व कप में हो तो इसका रोमांच दोगुना हो जाता है। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बीच 2003 विश्व कप में आमना-सामना हुआ था। टीम इंडिया ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी को मात देकर विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ जीत का अजेय क्रम बरकरार रखा था।
इस मुकाबले के स्टार सचिन तेंदुलकर थे, जिन्होंने लक्ष्य का पीछा करते समय बेहतरीन पारी खेली थी। मगर यह पारी और भी यादगार हो जाती अगर वो अपना शतक पूरा लेते तो। मास्टर ब्लास्टर ने 75 गेंदों में 12 चौके और एक छक्के की मदद से 98 रन बनाए थे। अपनी पारी के दौरान तेंदुलकर क्रैंप से काफी परेशान रहे और उन्हें बहुत कष्ट सहने के बाद रनर की जरूरत पड़ी। शोएब अख्तर ने खतरनाक बाउंसर पर तेंदुलकर को प्वाइंट में यूनिस खान के हाथों कैच आउट कराकर उनका शतक पूरा नहीं होने दिया।
निराश हुए अख्तर
सचिन तेंदुलकर को आउट करने के बाद शोएब अख्तर सहित पूरी पाकिस्तानी टीम जोरदार जश्न मनाने लगी थी। हालांकि, अख्तर ने अब खुलासा किया है कि तेंदुलकर के शतक पूरा नहीं करने की निराशा सबसे ज्यादा उन्हीं को हुई थी। अख्तर चाहते थे कि तेंदुलकर अपना शतक पूरा करें और उनका मानना था कि उस बाउंसर पर बल्लेबाज को छक्का मारना चाहिए था।
हेलो ऐप के लाइव सेशन पर अख्तर ने कहा, 'मैं बहुत निराश था क्योंकि सचिन तेंदुलकर 98 रन पर आउट हो गया। वो विशेष पारी थी। उसे शतक पूरा करना चाहिए था। मैं भी चाहता था कि वह शतक पूरा करे। उस बाउंसर पर मैं छक्का लगते देखना पसंद करता, जैसा कि पहले वो मार चुका था।'
भारत ने जीता मैच
जहां तक मैच की बात है तो शोएब अख्तर काफी खर्चीले साबित हुए थे। उन्होंने 10 ओवर में 72 रन लुटाए थे। इस दौरान उन्होंने केवल सचिन तेंदुलकर का विकेट लिया था। भारतीय टीम ने 274 रन का लक्ष्य चार ओवर से ज्यादा शेष रहते ही हासिल कर लिया था। तेंदुलकर के अलावा राहुल द्रविड़ (44*) और युवराज सिंह (50*) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इससे पहले टॉस जीतकर पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और सईद अनवर के शतक की बदौलत 7 विकेट पर 273 रन बनाए। यह उस समय में विशाल स्कोर माना जाता था, जिसे भारत ने तेंदुलकर की आक्रामक पारी के बलबूते आसानी से हासिल किया था।