कानपुर के बिकरू कांड मामले की गूंज अभी थमी नहीं है इस कांड में 8 पुलिस वाले शहीद हुए थे बाद में विकास दुबे का भी एनकाउंटर हो गया था, कहा जा रहा है कि पुलिस टीम अब विकास दुबे के दोनों बेटों से भी पूछताछ करेगी, बताते हैं कि इस कांड से एक दिन पहले तक दोनों बेटे अपनी मां रिचा दुबे के साथ गांव में ही थे।
कहा जा रहा है कि 29 जून को अमर दुबे की शादी में विकास दुबे की पत्नी रिचा और दोनों बेटे भी लखनऊ से आए थे और शादी के बाद गांव में ही रुके थे इसके बाद एक जुलाई तक तीनों गांव में ही थे। इसी दौरान एक जुलाई को उस समय के थाना प्रभारी विनय तिवारी राहुल पर हमले के मामले में पूछताछ के लिए गांव गए थे।
1 जुलाई को विकास दुबे के दोनों बेटे वहां मौजूद थे
उसी समय मृत विकास दुबे ने विनय तिवारी के साथ मारपीट कर धमकी दी थी और बताते हैं कि इस दौरान विकास दुबे के दोनों बेटे वहां मौजूद थे, इसी बात को ध्यान में रखते हुए पुलिस अब दोनों बेटों से पूछताछ कर सकती है।
वहीं उच्चतम न्यायालय ने विकास दुबे मुठभेड़ कांड और आठ पुलिसकर्मियों के नरसंहार की घटनाओं की जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन पर सवाल उठाने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी।प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की तीन सदस्यीय पीठ ने इस संबंध में दायर याचिका खारिज करते हुये कहा कि कानुपर में हुयी मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिये समुचित उपाय किये गये हैं।
शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त को अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय की याचिका पर सुनाई के दौरान उन्हें मीडिया की खबरों के आधार पर जांच आयोग की अध्यक्षता कर रहे उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर लांछन लगाने की अनुमति नहीं दी।पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डा बलबीर सिंह चौहान , उच्च न्यायाय के पूर्व न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता की सदस्यता वाले जांच आयोग के पुनर्गठन के लिये उपाध्याय की याचिका पर यह फैसला सुनाया।