- 10वीं, 12वां की हिंदी परीक्षा में करीब आठ लाख छात्र फेल
- पिछले दो साल से हिंदी में इतनी ही संख्या में छात्र हो रहे हैं फेल
- ज्यादातर छात्रों को वर्तनी ठीक नहीं
लखनऊ। 27 जून को यूपी बोर्ड ने एक साथ 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित कर दिए। हाईस्कूल में जहां करीब 83 फीसद छात्रों को कामयाबी मिली तो 12वीं में करीब 63 फीसद छात्र सफल हुए। 2020 की परीक्षा में करीब 56 लाख छात्र शामिल हुए। लेकिन नतीजों से पता चलता है कि 10वीं और 12वीं दोनों को मिलाकर कर करीब 16 फीसद छात्र यानि आ8 लाख हिंदी में फेल हो गए।
हिंदी में करीब 8 लाख छात्र फेल
12वीं में हिंदी में फेल होने वालों की संख्या 2.70 लाख तो 10वीं में यह तादाद 5.28 लाख है। यही नहीं 2.39 लाख छात्रों ने हिंदी का पेपर छोड़ दिया। इससे पता चलता है कि छात्रों की रुचि हिंदी में घट रही है। बात अगर 2019 की करें तो 10वीं और 12वीं में करीब 10 लाख छात्र हिंदी में फेल हुए इसके साथ ही 2018 में 11 लाख परीक्षार्थी हिंदी में फेल हो गए।
छात्रों को वर्तनी के बारे में पता नहीं
कक्षा 12 के विद्यार्थियों की हिंदी कॉपी जांचने वाली एक उच्च विद्यालय की शिक्षिका ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बहुत से बच्चों को आत्मविश्वास जैसे सरल शब्द नहीं पता थे और उन्होंने गलत वर्तनी के साथ कॉन्फिडेंस लिखा था। उनमें से कुछ ने यात्रा के लिए अंग्रेजी में सफर लिखा। यह भाषा के ज्ञान के उनके स्तर को दर्शाता है।
लड़कियों ने एक बार फिर मारी है बाजी
यूपी बोर्ड के नतीजों में लड़कियों ने एक बार फिर बाजी मारी है। 10वीं और 12वाीं दोनों परीक्षाओं में लड़कियों के पास होने की आंकड़ा लड़कों से ज्यादा रहा है। बागपत की 10वीं कक्षा में रिया जैन ने टॉप किया है जबकि 12वीं में बागपत के ही अनुराग मलिक पूरे प्रदेश में अव्वल रहे हैं। रिया जैन को 96.6 फीसद नंबर और अनुराग को 97 फीसद मिले हैं।