- यूुपी में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
- इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले पर अब 12 जुलाई को सुनवाई करेगा
- याचिकाकर्ताओं ने अपनी अर्जियों में प्रश्नों के उत्तर को चुनौती दी है
लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को 69,000 सहायक बेसिक अध्यापकों की नियुक्ति पर फिलहाल रोक लगा दी। इससे अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे शिक्षकों को झटका लगा है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 12 जुलाई को करेगा। न्यायाधीश आलोक माथुर ने दर्जन भरी अर्जियों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। इन अर्जियों में प्रश्नों के उत्तर को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उत्तर से जुड़ीं अपनी आपत्तियां एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के पास भेजने का निर्देश दिया है। इसके बाद राज्य सरकार इन आपत्तियों को यूजीसी के पास भेजेगी जो कि इस पर फैसला करेगा।
डवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने रखा सरकार का पक्ष
कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह पेश हुए जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एलपी मिश्रा, एचजीएस परिहार, सुदीप सेठ और अन्य वकीलों ने पक्ष रखा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत छह मई को प्राइमरी स्कूल में 69,000 शिक्षकों की भर्ती के लिए कट-ऑफ मार्क्स ऊंचा रखने के सरकार के फैसले को सही ठहराए जाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के फैसले को सराहा था।
जनवरी में हुई थी प्रारंभिक परीक्षा
बता दें कि 69,000 सहायक अध्यापक पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई। प्रारंभिक परीक्षा में 1.4 लाख उम्मीदवार सफल हुए। इस परीक्षा के लिए 431466 अभ्यर्थियों ने अपना पंजीकरण कराया था जबकि इस परीक्षा में करीब तीन लाख उम्मीदवार शामिल हुए। इसके बाद से परीक्षा परिणाम लंबित था। इसे संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने शिक्षकों का रिजल्ट एक सप्ताह के भीतर जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद इन शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है।