- ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से की मांग
- 'बोर्ड परीक्षाएं जून में करवा कर जुलाई तक इसका रिजल्ट आउट किया जा सकता है'
- 'परीक्षाएं जून में करवाई जाए और जुलाई में रिजल्ट घोषित कर दिया जाए'
नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षाओं की तारीख का ऐलान करने जा रहा है। ऐलान से ठीक पहले देशभर में छात्रों और अभिभावकों के एक बड़े समूह ने बोर्ड परीक्षाएं जून में कराए जाने और जुलाई में रिजल्ट दिए जाने की मांग शिक्षा मंत्रालय के समक्ष रखी है। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से कहा है कि बोर्ड परीक्षाएं जून में करवा कर जुलाई तक इसका रिजल्ट आउट किया जा सकता है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि 10वीं और 12वीं कक्षाओं के नतीजे जून में तक आते हैं और जुलाई में नई दाखिले शुरू किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में यदि परीक्षाएं जून में करवाई जाए और जुलाई में रिजल्ट घोषित कर दिया जाए तो अगले वर्ष का शैक्षणिक सत्र बाधित नहीं होगा। साथ ही छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए अतिरिक्त समय भी मिल सकेगा।
अभिभावक संघ का यह भी कहना है कि जून माह तक कोरोना महामारी का असर कुछ कम हो सकता है। ऐसे में छात्र एक सुरक्षित माहौल में परीक्षाएं दे सकेंगे। शिक्षाविद् जीएस रत्नाकर ने कहा कि इस वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों की नियमित कक्षाएं नहीं ली जा सकी हैं। लाखों छात्र ऑनलाइन कक्षाएं भी नहीं ले सके। सीबीएसई ने बेशक 30 फीसदी कोर्स कम किया है, लेकिन बाकी बचा कोर्स भी अभी तक पूरा नहीं हो सका है। ऐसी स्थिति में छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ और अतिरिक्त समय दिया जाना उचित रहेगा।
गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशांक' 31 दिसंबर को 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट जारी करने वाले हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि इस बार बोर्ड परीक्षाओं का कार्यक्रम फरवरी में आयोजित नहीं किया जाएगा। हालांकि अब छात्र और अभिभावक इन परीक्षाओं को तीन-चार महीने के लिए स्थगित करने की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, मार्च में बोर्ड परीक्षा आयोजित करवाना अनिवार्य नहीं है। मंत्रालय इस विषय में छात्रों और अभिभावकों की राय भी ले चुका है। शिक्षा मंत्रालय परीक्षाओं के लिए छात्रों को अतिरिक्त समय दे कर सकता है। इससे पहले सीबीएसई ने छात्रों को रियायत देते हुए 30 प्रतिशत सिलेबस कम किया था। साथ ही मार्कशीट पर 'फेल' शब्द न लिखने का फैसला किया गया है। इसके अलावा बोर्ड परीक्षा वाले दिन कोई प्रैक्टिकल भी नहीं होगा।