- सीटेट परीक्षा 16 दिसंबर 2021 से शुरू हो चुकी है जबकि 13 जनवरी 2022 तक चलेगी
- आप यहां समझ पाएंगे नॉर्मलाइजेशन मेथड क्या है
- पहली बार ऑनलाइन मोड में आयोजित की जा रही है सीटेट परीक्षा
CTET 2022 Marks Normalisation Method: Central Board of Secondary Education (CBSE) Central Teacher Eligibility Test (CTET) 2021-22 exam का आयोजन कर रहा है। सीटेट परीक्षा पहली बार ऑनलाइन मोड में आयोजित की जा रही है, संभावना है कि सामान्यीकरण विधि के माध्यम से अंतिम अंकों की गणना की जा सकती है, यदि ऐसा होता है तो आइये समझते हैं क्या है normalization method?
नॉर्मलाइजेशन मेथड?
मान लीजिए किसी परीक्षा को कई पालियों में आयोजित किया गया है, अब ऐसे में प्रत्येक पाली के लिए अलग-अलग प्रश्न पत्र होंगे, जैसे कि सीटेट परीक्षा में भी है। ऐसे में normalization method का सहारा लिया जाता है, हालांकि ऐसा हर परीक्षा में नहीं होता, लेकिन इस परीक्षा में normalization method का सहारा लिया जा सकता है।
परीक्षा का आयोजन करने वाला बोर्ड, परीक्षा की प्रत्येक पाली में प्रश्नपत्रों के विभिन्न सेटों का उपयोग करके यह सुनिश्चित करता है सभी सेट के प्रश्न पत्रों मे कठिनाई का स्तर एक जैसा ही हो। इस प्रक्रिया में सबसे जरूरी होता है पारदर्शिता लाना, जिसके लिए नॉर्मलाइजेशन मेथड का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या है normalization method?
हम एक छोटे से उदाहरण से समझते हैं
- मान लीजिए पेपर तीन शिफ्ट में हुई
- पहली शिफ्ट में हुई परीक्षा का औसत नंबर था 50
- दूसरी शिफ्ट में हुई परीक्षा का औसत नंबर था 80
- अब शिफ्ट 1 और शिफ्ट2 के बीच का अंतर निकला 30 नंबर का
- अब अगर हम पहली शिफ्ट के औसतन नंबर में 30 अंक जोड़ दें, तो दोनों शिफ्ट के नंबर एक समान हो जाएंगे।
- ठीक इसी प्रकार से दूसरी शिफ्ट और तीसरी शिफ्ट के अंकों का नॉर्मलाइजेशन किया जाता है।
क्यों जरूरत है normalization method की?
अब रही बात कि आखिर क्यों सभी सेटों के कठिनाई स्तर को एक जैसा किया जाता है, तो यूं समझिए कि 16 दिसंबर 2021 से सीटेट परीक्षा चल रही है, अब हर दिन एक जैसे सवाल या सवालों का स्तर एक जैसा तो रहेगा नहीं, कभी कठिन सेट आएगा तो हो सकता है किसी दिन बड़ा सरल सवालों का सेट आ जाए। ऐसे में भेदभाव के आरोपों से बचने और पारदर्शिता लाने के लिए सेटों का उपयोग करके नॉर्मलाइजेशन किया जाता है।