- 1 वर्ष के लिए निर्धारित जिले में ऑन-फील्ड काम करने का मिलेगा अवसर
- इच्छुक उम्मीदवार 4 जनवरी 2021 को या उससे पहले कर सकते हैं अप्लाई
- 5 युवा पेशेवरों को जमीन पर वास्तविक, स्थायी परिवर्तन बनाने का मिलेगा अवसर
नई दिल्ली: बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR), दिल्ली सरकार ने अशोक विश्वविद्यालय के सहयोग से युवा पेशेवरों को शामिल करने और बाल शोषण, प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और विकास पर विशेष ध्यान देने के साथ साथ बच्चों के अधिकारों के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए 'बाल अधिकार फ़ेलोशिप (सीआरएफ) ' शुरू किया है। फ़ेलोशिप के पहले समूह के लिए आवेदन अब खुल गए हैं। इच्छुक उम्मीदवार 4 जनवरी 2021 को या उससे पहले दिए गए लिंक के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं: https://shortlist.net/child-rights-fellowship। किसी भी प्रश्न के मामले में, टीम childrightsfellowship@ashoka.edu.in पर संपर्क किया जा सकता है।
मिलेगा 1 साल ऑन फील्ड काम करने का अवसर
सीआरएफ के भाग के रूप में, अध्येता को सरकारी अधिकारियों और सीआरएफ में कार्यक्रम टीम से व्यावसायिक विकास के लिए प्रशिक्षण, सलाह और समर्थन प्राप्त करते हुए 1 वर्ष के लिए निर्धारित जिले में ऑन-फील्ड काम करने का अवसर मिलेगा। वे राज्य के भीतर बाल अधिकारों के क्षेत्र में जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करते हुए कार्यक्रमों और नीतियों के बेहतर कार्यान्वयन के लिए जिला प्रशासन के भीतर डीसीपीसीआर और अन्य सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम करेंगे।
अवसर प्रदान करता है DCPCR
इस सहयोग के माध्यम से, आयोग का लक्ष्य 5 युवा पेशेवरों को जमीन पर वास्तविक, स्थायी परिवर्तन बनाने का अवसर प्रदान करना है। DCPCR विविध क्षेत्रों से संबंधित लोगों की भर्ती करना चाहता है इसलिए फ़ेलोशिप के लिए आवेदन करने के लिए सभी धर्मों, जातियों, लिंग समूहों और भौगोलिक क्षेत्रों के उम्मीदवार अपना आवेदन सुनिश्चित करें। फ़ेलोशिप नीति, शासन और विधायी प्रक्रियाओं की बारीक समझ बनाने और उन्हें फ़ेलोशिप के दौरान काम करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने के लिए 10 दिनों के कठोर प्रशिक्षण के साथ शुरू होगा। चल रहे व्यावसायिक विकास के लिए पूरे वर्ष नीति, कानून और शासन से संबंधित विषयों पर पुनश्चर्या प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा।
राजेंद्र गौतम ने कही ये बात
दिल्ली में बाल अधिकारों के लिए परिवर्तन की कहानियों को चलाने में 5 अध्येता के सहकर्मी सहायक होंगे, जिसके परिणामस्वरूप जमीनी स्तर पर इस कार्य को प्रभाव दिखाई देगा। फ़ेलोशिप की शुरूआत करते हुए राजेन्द्र पाल गौतम, महिला और बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री ने डीसीपीसीआर को बच्चों के अधिकारों का नेतृत्व करने और आयोगों के कार्य करने के तरीकों का उदाहरण स्थापित करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत में हमारे शासन को नए विचारों, अनुसंधान और जुनून की आवश्यकता है और यह फ़ेलोशिप उसी का एक उदाहरण है। उन्होंने डीसीपीसीटी और अशोका यूनिवर्सिटी को अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
डीसीपीसीआर के अध्यक्ष के अनुसार कोविड -19 महामारी ने बच्चों को बहुत नुकसानदेह स्थिति में डाल दिया है। स्कूल और आंगनवाड़ी बंद, और टीकाकरण पूरी पीढ़ी के लिए विनाशकारी हो सकता है। बच्चों के मुद्दों पर केवल एक समर्पित मिशन-मोड ही हमें आपदा से बचा सकता है, उन्होंने कहा। अशोक विश्वविद्यालय की इस प्रतिबद्धता के लिए उनकी सराहना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह फ़ेलोशिप उस दिशा में एक प्रयास है।