- HRD मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सीबीएसई सिलेबस में कटौती को लेकर सफाई दी है
- कोरोना संकट के बीच लिए गए फैसले पर उन्होंने कहा कि इसे सियासी रंग नहीं दिया जाना चाहिए
- उन्होंने साफ किया कि यह फैसला सिर्फ 2020-21 सत्र के लिए लिया गया है
नई दिल्ली : सीबीएसई के पाठ्यक्रम में कटौती को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, जिस पर अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि सीबीएसई के पाठ्यक्रम से कुछ टॉपिक्स हटाए जाने को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं, ऐसी बातें मनगढंत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मसले पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और शिक्षा को राजनीति से दूर रखने की जरूरत है।
'ऐसा सिर्फ 2020-21 सत्र के लिए'
उन्होंने कहा कि सीबीएसई के पाठ्यक्रम में कटौती का फैसला कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर पठन-पाठन के कार्य में आ रही बाधा को देखते हुए लिया गया है। ऐसा सिर्फ 2020-21 सत्र के लिए किया गया है। एक के बाद एक कई ट्वीट में एचआरडी मिनिस्टर ने कहा कि हालांकि राष्ट्रवाद, स्थानीय सरकार, संघवाद जैसे 3-4 टॉपिक्स को सिलेबस से बाहर किए जाने पर एक नैरेटिव बना लेना आसान है, लेकिन वृहद परिप्रेक्ष्य में देखें तो सिलेबस में कटौती सभी विषयों में की गई है।
'गलत नैरेटिव सेट किया जा रहा'
उन्होंने कहा कि सीबीएसई के पाठ्यक्रम से कुछ टॉपिक्स को हटाए जाने को लेकर बहुत सी बातें कही गई हैं। समस्या यह है कि इसमें महज कुछ चुनिंदा टॉपिक्स का जिक्र कर इसे सनसनीखेज तरीके से पेश किया जा रहा है और इसे लेकर एक गलत नैरेटिव सेट किया जा रहा है। इस मसले को राजनीतिक रंग नहीं देने की अपील करते हुए कहा कि शिक्षा बच्चों के प्रति हमारा पवित्र कर्तव्य है और इसलिए इससे राजनीति को दूर रखा जाना चाहिए। हमें अपनी राजनीति को और अधिक शिक्षित बनाने की जरूरत है।
सीबीएसई सिलेबस में 30 फीसदी कटौती
यहां उल्लेखनीय है कि पूरे मामले में विवाद सीबीएसई के मंगलवार के उस नोटिफिकेशन के बाद पैदा हुआ है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना संकट और मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक के सिलेबस में 30 फीसदी तक कटौती का फैसला लिया गया है। यह सिर्फ सत्र 2020-21 के लिए है और जो टॉपिक्स हटाए गए हैं, उससे संबंधित सवाल परीक्षा में नहीं पूछे जाएंगे।