हरियाणा के रहने वाले नसीब फोगाट बचपन से ही अफसर बनना चाहते थे। लेकिन घर की आर्थिक स्थिती को देखते हुए वो आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। नसीब फोगाट के पिता एक किसान थे, ऐसे में उन्हें अपने बच्चों को पढ़ाना लिखना काफी मुश्किल हो रहा था। घर की स्थिती को देखते हुए नसीब पढ़ाई छोड़ नौकरी ढूंढ़ने लगे। उन्होंने 17 साल की उम्र में ही ऑर्मी ज्वाइन किया। जहां उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।
नसीब भले ही फौज की नौकरी कर रहे थे लेकिन उन्होंने पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी। नौकरी के साथ उन्होंने अपनी जारी रखी। वो चाहते थे कि वो सिविल सर्विस की तैयारी करें लेकिन इसके लिए उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे। वहीं आर्मी में नसीब की पहली पोस्टिंग कारगिल में हुई थी, जहां एक ब्लास्ट के दौरान वो बुरी तरह से घायल हो गए थे। जिसमें उन्हें शारीरिक तौर पर काफी क्षति पहुंची थी। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वो इस नौकरी से निकलर यूपीएससी की तैयारी करेंगे।
आर्मी से निकलने के बाद नसीब के पास पेंशन के अलावा दूसरा कोई कमाई का सोर्स नहीं था। ऐसे में उन्होंने अपनी समझदारी से ना सिर्फ खुद की पढ़ाई जारी रखी बल्कि अपने बच्चों को भी पढ़ाया। फौज की नौकरी से छोड़ने के बाद उन्होंने लॉ में एडमिशन ले लिया। लॉ की पढ़ाई के साथ वो तैयारी भी कर रहे थे। घर के खर्चों के लिए वो बचे हुए पैसों को इस्तेमाल करते थे। क्योंकि घर और बच्चों के अलावा नसीब खुद भी पढ़ाई कर रहे थे।
नसीब के मुताबिक सिर्फ प्रोफेशनल लाइफ में ही नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ में भी सफलता बेहद जरूरी है। ऐसे में बच्चों और घर की जिम्मेदारी को भी नसीब बखूबी निभाते रहें। हरियाणा के एसडीएम बनने से पहले नसीब ने कई सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई किया था। उनमें से कई में उन्हें सफलता भी हासिल हुई। एसडीएम बनने से पहले नसीब यूजीसी नेट क्लीयर कर चुके थे। जिसका फायदा उन्हें हुआ भी और वो बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर बने। तब तक उनका चयन हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा में नहीं हुआ था। जब उन्होंने रियाणा सिविल सेवा परीक्षा की परीक्षा दी, तो उन्हें सफलता हासिल हुई। इस तरह नसीब अपना अफसर बनने का सपना पूरा कर पाए।