- चौधरी बंसत ने अपने सारे ही बच्चों को बना दिया ग्रेड वन ऑफिसर
- बेटा-बहू,पोता और पोतियां सब हैं सरकारी ग्रेड सव अधिकारी
- 99 साल की उम्र में हो गई चौधरी बंसत की मृत्यु
हरियाणा के रहने वाले चौधरी बसंत सिंह श्योंकद ने अपने परिवार में एक ऐसी नींव रखी कि उनके घर का हर सदस्य अफसर बन गया। खुद भले ही उन्होंने चौथी तक ही शिक्षा हासिल की लेकिन अपने बच्चों को हमेशा यह सीख दी कि वह शिक्षा के महत्व को पहचान सकें और उन्हें यह भी समझाया कि शिक्षा से ही सब कुछ बदला जा सकता है। हालांकि 99 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई, लेकिन उन्होंने अपने घर-परिवार को ऐसा घराना बना दिया कि वहां हर नौकरी करने वाला ग्रेड वन ऑफिसर ही है।
11 ग्रेड वन ऑफिसर का है ये परिवार
हरियाणा के जींद जिले के गांव डूमरखां कलां के रहने वाले चौधरी बसंत सिंह श्योंकद के परिवार में दो आईएएस, एक आईपीएस समेत ग्रेड वन क्लास के 11 असफर शामिल हैं। बसंत सिंह का उठना-बैठना हमेशा ही ग्रेड वन ऑफिसर के साथ रहा था और यही कारण उनके अंदर भी अपने बच्चों को ग्रेड वन अफसर बनने की ललक रही और उन्होंने अपने जीवनकाल में सभी को ग्रेडवन ऑफिसर बना ही दिया।
99 साल की उम्र में हो गया निधन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चौधरी बसंत सिंह श्योंकद खुद चौथी क्लास तक ही पढ़ सकें थे। हाल ही में उनकी 99 साल की उम्र में मौत हो गई, लेकिन अपने परिवार को उन्होंने जो बुलंदी और मुकाम दिया, वह बेहद खास रहा है। उनके परिवार का हर सदस्य खुद की सफलता के लिए उन्हें ही श्रेय देता है।
इन अधिकारियों से भरा है घर
चौधरी बसंत सिंह के बेटे-बेटी, बहु और पोती ग्रेड वन अफिसर हैं। उनके चारों बेटे क्लास वन अधिकारी हैं, जबकि बहु और पोता-पोती आईएएस हैं. वहीं उनकी पोती आईआरएस अफसर है। बसंत सिंह के बड़े बेटे रामकुमार श्योकंद रिटायर्ड प्रोफेसर हैं और उनका बेटा यशेंद्र आईएएस है और बेटी स्मिति चौधरी अंबाला में बतौर रेलवे एसपी तैनात हैं। स्मिति के पति बीएसएफ में आईजी हैं। वहीं चौधरी बसंत के दूसरे बेटे कॉन्फेड में जीएम थे और उनकी पत्नी डिप्टी डीइओ रह चुकी हैं। बहु-बेटे, पोता-पोती सभी किसी न किसी ग्रेड वन पोस्ट पर तैयात रहे हैं। तीसरे बेटे वीरेंद्र एसई थे। इनकी पत्नी इंडियन एयरलाइंस में डिप्टी मैनेजर रही हैं। बसंत सिंह के चौथे बेटे का नाम गजेंद्र सिंह हैं। ये भारतीय सेना में कर्नल पद रिटायर हुए हैं। वर्तमान में बतौर निजी पायलट सेवाएं दे रहे हैं।
सबने एक दूसरे को आगे बढ़ने का उठाया जिम्मा
घर में सभी ने एक दूसरे को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया। चौधरी बसंत ने अपने बच्चों को और उनके बच्चों ने अपने भाई-बहन और बच्चों को आगे बढ़ाया। इतना ही नहीं जिंद में उन्होंने प्रतिभावान छात्र और छात्रा को गोद भी लिया और उनकी पढ़ाई का खर्चा उठाया। वर्तमान ये दोनों ही कॉलेज में उच्च अध्ययन कर रहे हैं। चौधरी बसंत सिंह मूलरूप से खेती किया करते थे।