- निकिता जब 12वीं में थी तब उन्होंने अपने पिता को खो दिया था।
- निकिता की मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं, फिर भी पढ़ाई की कीमत जानती थीं।
- निकिता कॉलेज में फेल भी हुई। इसके बावजूद निकिता की मम्मी का विश्वास नहीं टूटा।
UPSC Success Story: कौन सीरत पर ध्यान देता है, आईना जब बयान देता है। मेरा किरदार इस जमाने में बार-बार इम्तेहान देता है। ये कहानी है साल 2018 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) में 23वी रैंक हासिल करने वाली निकिता मंडलोई की। 21 साल की निकिता ने अपने पहले ही अटेंप्ट में ये सफलता हासिल की।
निकिता जब 12वीं में थीं तब उन्होंने अपने पिता को खो दिया और पढ़ाई छोड़ने का फैसला ले लिया। निकिता की मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं, फिर भी पढ़ाई की कीमत जानती थीं। बेटी की पढ़ाई में पैसे कम पड़े तो मां ने गहने गिरवी रख दिए लेकिन बेटी को आगे बढ़ने से नहीं रोका।
निकिता कॉलेज में फेल भी हुई। इसके बावजूद निकिता की मम्मी का विश्वास नहीं टूटा। दिल्ली नॉलेज ट्रैक से बातचीत में निकिता ने बताया, 'सिविल सेवा की तैयारी शुरू करने से पहले मुझे मेरे पिता का जो सपना था, उन्हें जो गौरव चाहिए था मुझे वो याद आया। मुझे तनख्वाह से कोई मतलब नहीं था।'
परिवार ने खड़े कर दिए थे हाथ
निकिता कहती हैं, 'मेरे पिता बचपन से कहते थे कि मेरी बेटी कलेक्टर बनेगी। पिता की मौत के बाद हम सभी के लिए काफी मुश्किल समय था। मुझे पिता सबसे ज्यादा सपोर्ट किया करते थे। मैंने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा था।'
निकिता के मुताबिक, 'कॉलेज का सबसे महंगा डिपार्टमेंट मिला था। मेरे परिवार ने हाथ खड़े कर दिए थे। यहां तक मेरे सगे भाई ने भी हथियार डाल दिए थे। हालांकि, मेरे मौसाजी ने मेरा पूरा सपोर्ट किया था। हिंदी मीडियम से होने के कारण काफी दिक्कत होती थी। पहले सेमेसटर में मैं पांच सब्जेक्ट में से तीन में फेल हो गई।'
मन में आया भ्रम
निकिता अपने सफर के बारे में बताते हुए कहती है, 'सिविल सेवा की तैयारी शुरू करने से पहले दिमाग में ये भ्रम आया कि बिना कोचिंग के ये परीक्षा नहीं पास की जा सकती है। ऐसे में तुम्हें भी कोचिंग ज्वाइन करनी होगी।'
निकिता कैंडिडेट्स को टिप्स देते हुए कहती हैं- संघर्ष और समस्या आती रहती हैं, ये आप पर निर्भर करता है कि आप इसे किस तरह से स्वीकार करते हैं। इस समस्या से या तो आप बिखर जाओगे या फिर निखर जाओगे।