- NEET UG रिजल्ट घोषित हो गए हैं, अब जल्द काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू होगी।
- मेरिट लिस्ट ऑल इंडिया कोटा और राज्यों के स्तर पर तैयार की जाती है।
- मेडिकल कॉलेज अपने यहां सीटों की उपलब्धता को देखते हुए कट ऑफ लिस्ट जारी करते हैं।
NEET UG Result 2021 Date: NEET UG रिजल्ट घोषित कर दिए गए हैं। रिजल्ट जारी होने के बाद सफल उम्मीदवारों को एडमिशन प्रॉसेस की तैयारी शुरू करनी होगी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि रिजल्ट घोषित होने के बाद सबसे पहले उसे कैसे चेक किया जाय और सफल उम्मीदवारों को काउंसलिंग के लिए क्या तैयारी करनी पड़ेगी।
ऐसे चेक करें रिजल्ट
रिजल्ट घोषित होने के बाद उम्मीदवार नीट की ऑफिशियल वेबसाइट neet.nta.nic.in पर जाकर चेक कर सकते हैं। रिजल्ट के लिए जरूरी जानकारी फीड करने के बाद आपके सामने स्कोर कार्ड आ जाएगा। इसे डाउनलोड कर रख लें। जो कि आगे काउंसलिंग में काम आएगी। काउंसलिंग के सबसे अहम दस्तावेजों में से एक आपका स्कोर कार्ड ही रहेगा।
सफल उम्मीदवारों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी
काउंसलिंग के लिए सफल उम्मीदवार को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। रजिस्ट्रेशन के दौरान वह अपने पसंद के कॉलेजों और पाठ्यक्रमों की डिटेल भी भरता है। इसके बाद नीट 2021 के अंकों के आधार पर सीट की उपलब्धता, भरे गए विकल्प, आरक्षण मानदंड आदि के जरिए सीटें आवंटित की जाती हैं। इसके लिए कॉलेज अपने स्तर पर , सीटों की उपलब्धता को देखते हुए कट ऑफ लिस्ट तैयार करते हैं। जिसमें शॉर्ट लिस्ट होने के बाद ही उम्मीदवार को कॉलेज आवंटित किया जाता है।
इन दस्तावेजों को तैयार रखे
काउंसलिंग के लिए जाते समय उम्मीदवार को नीट 2021 का एडमिट कार्ड, नीट 2021 या रैंक लेटर के परिणाम, 10वीं पास प्रमाण पत्र, 12 वीं पास प्रमाण पत्र, सरकार द्वारा जारी की गई फोटो आईडी, पासपोर्ट साइज फोटो, यदि जाति प्रमाण पत्र की अनिवार्यता लागू होती है। इसके अलावा दिव्यांगता प्रमाण पत्र की अनिवार्यता अगर लागू होती है, तो उसे काउंसलिंग के दौरान देना पड़ता है।
इस आधार पर लागू होता है आरक्षण
ऑल इंडिया कोटे के तहत 15 फीसदी सीटों के लिए एससी, एसटी,ओबीसी, ईडब्ल्यूएस और पीडब्ल्यूडी कैटेगरी के लिए तय आरक्षण को एडमिशन प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। मौजूदा नियमों के अनुसार ओबीसी कैटेगरी को 27 फीसदी, एससी कैटेगरी को 15 फीसदी, ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी, एसटी को 7.5 फीसदी, और पीडब्ल्यूडी कैटेगरी के उम्मीदवार को 5 फीसदी आरक्षण मिलता है। राज्य अपने आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करते हैं। जिसके जरिए उस राज्य के निवासी उम्मीदवारों को एडमिशन मिलता है।