नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के क्रियान्वयन की समीक्षा की और स्कूल जाने वाले बच्चों को प्रौद्योगिकी के अत्यधिक जोखिम से बचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण की हाइब्रिड प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहुंच, सहभागिता, समावेशन और गुणवत्ता के उद्देश्य से एनईपी को लागू करने की दिशा में पिछले दो सालों में कई कदम उठाए गए हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने यह भी कहा कि आंगनबाडी केन्द्रों द्वारा अनुरक्षित डेटाबेस को स्कूल डेटाबेस के साथ निर्बाध रूप से जोड़ना चाहिए क्योंकि बच्चे आंगनबाडी से स्कूलों में जाते हैं। उन्होंने स्कूलों में तकनीक की मदद से बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच और स्क्रीनिंग की की भी वकालत की।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय संचालन समिति के अधीन तैयार किए जा रहे राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा की प्रगति से अवगत कराया गया।उन्होंने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों को तकनीक के अत्यधिक जोखिम से बचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण की एक हाइब्रिड प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों में वैचारिक कौशल विकसित करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित खिलौनों के उपयोग पर जोर दिया जाना चाहिए।उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विज्ञान प्रयोगशालाओं वाले माध्यमिक विद्यालयों को मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अपने क्षेत्र के किसानों के साथ मिट्टी की जांच के लिए जुड़ना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने से लेकर उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट की व्यवस्था शुरू करने तक कई ऐसे रूपांतरकारी सुधारों की पहल की गई है जो देश की प्रगति में कारगर साबित होंगे।
पीएमओ के मुताबिक एनईपी की सिफारिशों के अनुसार भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके मद्देनजर अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में एक भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) सेल की स्थापना की गई है और देश भर में 13 केंद्र खोले गए हैं।
पीएमओ ने यह भी कहा कि स्टार्ट-अप और नवाचार के इको-सिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए 28 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में उच्च शैक्षिक संस्थानों में 2,774 संस्थान की इनोवेशन काउंसिल की स्थापना की गई है।
इस बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार, अन्नपूर्णा देवी और राजकुमार रंजन सिंह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, एआईसीटीई के अध्यक्ष और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक सहित शिक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।