नई दिल्ली। यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सस्पेंस बरकार है। 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी कर मामला सुरक्षित रख लिया था। इस केस की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच कर रही है। कोर्ट सभी पक्षों को दलीलें लिखित में पेश करने का 3 दिन का समय और दिया था।एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने एक ट्वीट में इसकी पुष्टि की है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कल फैसला सुनाया जाएगा या नहीं, शीघ्र फैसले की उम्मीद है।
दिल्ली, महाराष्ट्र और ओडिशा विरोध में
बता दें कि कई विश्वविद्यालय पहले ही अंतिम वर्ष का एग्जाम करा चुके हैं लेकिन दिल्ली, महाराष्ट्र और ओडिशा राज्य उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन राज्यों ने कोविड 19 का हवाला देते हुए परीक्षा नहीं कराने की दलील दी थी। राज्यों का कहना है कि जिस तरह से पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को रियायत दी गई है ठीक वैसे ही फाइनल ईयर के छात्रों को मिलनी चाहिए। सवाल यह है कि क्या फाइनल ईयर के छात्रों का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण नहीं है।
11 छात्रों ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
इस केस में हस्तक्षेप के लिए देश भर के 11 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसके बाद, 2 अलग-अलग याचिकाएँ - महाराष्ट्र राज्य की ओर से परीक्षा रद्द करने के फ़ैसले पर युवा सेना द्वारा एक और एक लॉ छात्र द्वारा एक अन्य याचिका भी दायर की गई थी। अदालत में इस मामले की कई सुनवाई हुई। अंतिम प्रस्तुतियाँ की जा चुकी हैं और अब निर्णय की प्रतीक्षा है।