- यूपी के मदरसों में शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य होगा टीईटी।
- दीनी तालीम को कम कर मॉडर्न एजुकेशन को दी जाएगी वरीयता।
- प्रदेश में वित्त पोषित करीब 500 से अधिक मदरसे हैं।
UP Government on Madrassas: योगी सरकार लगातार दूसरी बार प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद, राज्य के शिक्षण संस्थानों के साथ मदरसों की तस्वीर सुधारने में लग गई है। सरकार मदरसों में शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा TET, को अनिवार्य करने जा रही है। जिसका साफ मतलब यह है कि अब से मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती टीईटी परीक्षा के माध्यम से ही की जाएगी।
अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने रविवार को पीटीआई को जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल इस नए नियम को लागू करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
‘मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता बढाना चाहती है सरकार’
सरकार के इस फैसले पर मंत्री ने आगे कहा कि राज्य के मदरसों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए NCERT पाठ्यक्रम को भी लागू किया जाएगा। मंत्री ने कहा, 'क्योंकि यह वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किया गया पाठ्यक्रम है, इसलिए इसे बेहतर ढंग से पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों का होना भी अनिवार्य है। इसे देखते हुए, सरकार मदरसों में शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी को अनिवार्य करने जा रही है।'
क्या कानून में फेरबदल करेगी सरकार?
मंत्री के अनुसार मदरसों में आधुनिक शिक्षा के अध्यापकों की भर्ती में टीईटी को अनिवार्य बनाना आवश्यक है। सरकार ने साल 2017 में 'तथानिया' (कक्षा 1 से 5), 'फौकानिया' (कक्षा 5 से 8) और आलिया या उच्चतर आलिया स्तर (हाई स्कूल और ऊपर) के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाने को लेकर पहले ही मंजूरी दे दी थी, जिस कारण से इस नए नियम के लिए कानून में फेरबदल की आवश्यकता नजर नहीं आ रही।
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इन विषयों के लिए TET अनिवार्य नहीं होगा
दानिश आजाद अंसारी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि टीईटी की आवश्यकता उर्दू, अरबी, फारसी या दीनियात के शिक्षकों पर लागू नहीं होगी। यह केवल एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती के लिए लागू किया जा रहा है।
क्या मदरसों में शिक्षकों के साथ होगा भेदभाव?
सरकार के इस कदम पर शिक्षक संघ मदारिस अरबिया के संयुक्त महासचिव हकीम अब्दुल हक ने कहा कि राज्य में NCERT पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए मदरसों में टीईटी के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती से, खुद अध्यापकों में भेदभाव शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा "आधुनिक शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य करने से एक ही मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षकों के बीच योग्यता और शिक्षा का अंतर होगा, क्योंकि टीईटी पास करने के बाद भर्ती होने वाले शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता यकीनन अरबी, फारसी, दीनियात और उर्दू पढ़ाने वालों की तुलना में अधिक होगी।
इस बीच हक ने दीनियात, उर्दू, अरबी और फारसी पढ़ाने वाले मदरसा शिक्षकों के लिए भी विशेष टीईटी पाठ्यक्रम शुरू करने की मांग की है।
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फिलहाल क्या है मदरसों में शिक्षकों की योग्यता?
मदरसों में शिक्षकों की भर्ती के लिए वर्तमान में लागू प्रक्रिया के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाने वाले शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता उर्दू या किसी समकक्ष प्रमाण पत्र के साथ इंटरमीडिएट होनी चाहिए। इसके अलावा कक्षा 5 से 8 में पढ़ाने के लिए शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता कामिल डिग्री या अरबी फारसी या दीनियात और फाजिल के साथ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री या आलिया (हाई स्कूल और ऊपर) के लिए अरबी या फारसी होना अनिवार्य है।
बता दें कि राज्य में इस समय करीब 16,461 मदरसे हैं जो कि मदरसा बोर्ड से संबद्ध रखते हैं। इनमें से 560 मदरसे सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हैं।