- 2006 में आए टीवी शो 'बनूं मैं तेरी दुल्हन' से मशहूर हुए थे शरद मल्होत्रा
- बोले- सफलता के बाद लगा मैं ही अगला शाहरुख खान बनूंगा
- दो फिल्में फ्लॉप होने के बाद हो गए थे डिप्रेशन का शिकार
मुंबई: प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में बातचीत शुरू कर दी है। अभिनेता की मृत्यु के एक महीने बाद, फिल्म और टीवी इंडस्ट्री कई अभिनेताओं ने अवसाद और मानसिक तनाव से गुजरने के बारे में बात की है, उनमें से एक अभिनेता शरद मल्होत्रा भी हैं।
मशहूर टीवी शो बनूं मैं तेरी दुल्हन:
2006 में मशहूर टीवी शो 'बनूं मैं तेरी दुल्हन' में छोटे पर्दे पर डेब्यू करने वाले अभिनेता टीवी इंडस्ट्री के सबसे चर्चित अभिनेताओं में से एक बन गए थे, हालांकि टीवी पर अपने सफल करियर के बाद जब उन्होंने फिल्मों में कदम रखा, तब उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली और वह अवसाद का शिकार हो गए थे।
'मुझे लगा अगला शाहरुख खान बनूंगा'
शरद मल्होत्रा ने 2 बॉलीवुड फिल्मों जैसे कि 'सिडनी विद लव' और 'एक तेरा साथ' में काम किया, दोनों ही दर्शकों के बीच सफलता पाने में नाकाम रहीं। टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने खुलासा किया एक सफल टीवी करियर के बाद शरद को लगने लगा था कि वह अगले शाहरुख खान होंगे।
उन्होंने कहा, 'मेरे शो हिट होने के बाद, मैं इस धारणा में था कि मैं अगला शाहरुख खान बनूंगा । मैंने दो फिल्मों- फ्रॉम सिडनी विद लव और एक तेरा साथ - में अभिनय किया और दोनों ही बड़ी फ्लॉप रहीं। मुझे लगा जैसे मेरे सपने चकनाचूर हो गए। मुझे इस तथ्य को स्वीकारने में मुश्किल होने लगी कि मेरी फिल्मों असफल हो गईं। यह मेरे जीवन का सबसे बुरा दौर था क्योंकि मैंने पहले ही टीवी शो के बाद टेलीविजन में काम करने के बारे में सोचना बंद कर दिया था।'
वह आगे कहते हैं कि जब उन्होंने अपने बॉलीवुड डेब्यू के साथ असफलता का स्वाद चखा, तो उन्होंने खुद को हर किसी से दूर कर लिया और खुद को आध्यात्म व ध्यान की ओर मोड़ लिया, जिससे आखिरकार उन्हें फिर से एक्शन में डूबने और काम की तलाश में जाने की हिम्मत मिली।
आत्मविश्वास जुटाने में 2 साल लग गए:
अभिनेता ने कहा, 'चार साल तक, मैं हर किसी से दूर रहा। आखिरकार, मैंने आध्यात्मिकता की ओर रुख किया, प्रतिदिन ध्यान किया और व्यायाम करने पर ध्यान केंद्रित किया। मुझे पर्याप्त साहस जुटाने और काम देखने के लिए आत्मविश्वास जुटाने में दो साल लग गए।'
भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप में काम करने वाले अभिनेता ने आगे कहा, 'मुझे अंततः समझ में आ गया कि टेलीविजन ने मुझे क्या दिया था और वहां अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया और टीवी ने मेरा फिर से स्वागत किया।'
कोई नहीं जानता सुशांत क्या सोच रहा था: शरद
मुस्कान अभिनेता ने आगे कहा, 'मैंने महसूस किया है कि सफलता और असफलता बनी रहती है। इससे जीवन का अंत नहीं होना चाहिए। मैंने सीखा कि व्यक्ति को बेहद धैर्यवान और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए, क्योंकि बहुत सारी परिस्थितियों हैं, जिनका हम हर दिन सामना करते हैं जो कि परेशान करने वाला हो सकता है। इसलिए, मुझे लगता है कि सुशांत की मृत्यु पर फैसला सुनाने का अधिकार किसी को नहीं है। हम नहीं जानते कि उसके दिमाग में क्या चल रहा था।'
'खुशी है कि मैं वापस लौट आया'
पुराने दौर को याद करते हुए शरद ने कहा, 'मुझे दुनिया का सामना करने में चार साल लग गए और केवल मुझे पता है कि उस दौरान मेरी मानसिक स्थिति क्या थी। मुझे खुशी है कि मैं ठीक हो गया और फिर से खुशहाल जीवन जीने के लिए वापस आ गया। '